तमिलनाडु विधानसभा ने हिंदी थोपे जाने के खिलाफ पारित किया प्रस्ताव
चेन्नई। तमिलनाडु विधानसभा ने हिंदी ‘थोपे जाने’ के खिलाफ मंगलवार को एक प्रस्ताव पारित किया और आधिकारिक भाषा पर संसदीय समिति की रिपोर्ट में की गई सिफारिशें लागू नहीं करने का केंद्र से अनुरोध किया। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन द्वारा लाए गए प्रस्ताव में कहा गया कि नौ सितंबर को राष्ट्रपति को सौंपी गई सिफारिश में …
चेन्नई। तमिलनाडु विधानसभा ने हिंदी ‘थोपे जाने’ के खिलाफ मंगलवार को एक प्रस्ताव पारित किया और आधिकारिक भाषा पर संसदीय समिति की रिपोर्ट में की गई सिफारिशें लागू नहीं करने का केंद्र से अनुरोध किया। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन द्वारा लाए गए प्रस्ताव में कहा गया कि नौ सितंबर को राष्ट्रपति को सौंपी गई सिफारिश में तमिल सहित राज्य भाषाओं के खिलाफ है और इन भाषाओं को बोलने वाले लोगों के हितों के भी खिलाफ है।
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प्रस्ताव में कहा गया कि विधानसभा इस बात पर चिंता जताती है कि संसदीय समिति ने जो सिफारिश की है वह दो भाषा की नीति के खिलाफ विधानसभा में सी. एन. अन्नादुरई द्वारा लाए गए और इस सदन द्वारा पारित किये गए प्रस्ताव के खिलाफ है। यह सिफारिश तत्कालीन प्रधानमंत्री (जवाहरलाल नेहरू) द्वारा गैर हिंदी भाषी राज्यों से किए गए वादों के भी उलट है।
साथ ही, यह (सिफारिश) आधिकारिक भाषा पर 1968 और 1976 में पारित प्रस्तावों के जरिये अंग्रेजी के उपयोग को आधिकारिक भाषा के रूप में सुनिश्चित किये जाने के खिलाफ है। विधानसभा ने मंगलवार को प्रस्ताव आम सहमति से पारित किया। अन्नाद्रमुक नेता ओ. पनीरसेल्वम ने कहा कि उनकी पार्टी ने राज्य में दो भाषा (तमिल और अंग्रेजी) की नीति का समर्थन किया है।
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