स्वप्न से किसने जगाया?… महादेवी वर्मा

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स्वप्न से किसने जगाया? स्वप्न से किसने जगाया? मैं सुरभि हूं। छोड़ कोमल फूल का घर, ढूंढ़ती हूं निर्झर। पूछती हूं नभ धरा से- क्या नहीं ऋतुराज आया? मैं ऋतुओं में न्यारा वसंत, मैं अग-जग का प्यारा वसंत। मेरी पगध्वनी सुन जग जागा, कण-कण ने छवि मधुरस मांगा। नव जीवन का संगीत बहा, पुलकों से …

स्वप्न से किसने जगाया?

स्वप्न से किसने जगाया?

मैं सुरभि हूं।

छोड़ कोमल फूल का घर,

ढूंढ़ती हूं निर्झर।

पूछती हूं नभ धरा से- क्या नहीं ऋतुराज आया?

मैं ऋतुओं में न्यारा वसंत, मैं अग-जग का प्यारा वसंत।

मेरी पगध्वनी सुन जग जागा, कण-कण ने छवि मधुरस मांगा।

नव जीवन का संगीत बहा, पुलकों से भर आया दिगंत।

मेरी स्वप्नों की निधि अनंत, मैं ऋतुओं में न्यारा वसंत।

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