2018 कठुआ रेप केस में 'सुप्रीम' आदेश, शुभम सांगरा को बालिग मानकर चलेगा केस
2018 कठुआ रेप केस मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि आरोपियों में से एक पर बालिग के तौर पर मुकदमा चलाया जाए न कि नाबालिग अपराधी के तौर पर मुकदमा चलाया जाए।
नई दिल्ली। 2018 कठुआ रेप केस मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि आरोपियों में से एक पर बालिग के तौर पर मुकदमा चलाया जाए न कि नाबालिग अपराधी के तौर पर मुकदमा चलाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, कठुआ और जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि कठुआ बलात्कार-हत्या मामले में एक आरोपी किशोर है।
शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि उक्त आरोपी शुभम सांगरा पर एक वयस्क के रूप में मुकदमा चलाया जाना चाहिए। जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस जेबी पारदीवाला की खंडपीठ ने सीजेएम और हाईकोर्ट के आदेशों के खिलाफ केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर द्वारा दायर अपील को स्वीकार कर लिया।
जस्टिस परदीवाला ने आदेश के ऑपरेटिव हिस्से को पढ़ा, यह माना जाता है कि प्रतिवादी आरोपी अपराध के समय किशोर नहीं था और उस पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए जिस तरह से अन्य सह-आरोपियों पर कानून के अनुसार मुकदमा चलाया गया था।
जस्टिस परदीवाला ने कहा कि आरोपी की उम्र के बारे में मेडिकल एक्सपर्ट का अनुमान सबूत का वैधानिक विकल्प नहीं है और यह केवल एक राय है। यह मामला 2019 में कठुआ गांव में आठ साल की बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या से संबंधित है। जून 2019 में पठानकोट की एक विशेष अदालत ने इस मामले में तीन लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने सबूत नष्ट करने के आरोप में तीन पुलिस अधिकारियों को 5 साल कैद की सजा भी सुनाई।
शुभम सांगरा के मुकदमे को किशोर न्याय बोर्ड में स्थानांतरित कर दिया गया था। शुभम सांगरा मुख्य आरोपी सांजी राम का भतीजा है, जो उस मंदिर का केयरटेकर था, जहां अपराध हुआ था। वकीलों द्वारा न्याय में बाधा डालने के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई कठुआ से पंजाब के पठानकोट में स्थानांतरित कर दी थी।
