क्या है Narco Test?, जिससे खुलेगा साइको किलर आफताब का राज, हर जुर्म का होगा हिसाब!

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Published By Himanshu Bhakuni
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नई दिल्ली। बीते दिनों दिल्ली में श्रद्धा वालकर मर्डर केस की अब तक कई गुत्थियां सुलझ नहीं सकी हैं। आरोपी आफताब पूनावाला पुलिस हिरासत में है। वह पुलिस के सवालों का गोलमोल जवाब दे रहा है। ऐसे में अब उसका नार्को टेस्ट होगा। पुलिस ने इसकी तैयारी भी कर ली है। दिल्ली के अम्बेडकर अस्पताल में सोमवार (21 नवंबर) को उसका नार्को टेस्ट होने की उम्मीद है।

 ऐसे में जल्द ही कातिल आफताब के चेहरे का नकाब उतरने वाला है। दिल्ली पुलिस ने आफताब के नार्को टेस्ट की वीडियोग्राफी के लिए फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) की टीम को रिक्वेस्ट भेजी है। दरअसल, नार्को टेस्ट के दौरान FSL की टीम मौजूद रहती है। टेस्ट की वीडियोग्राफी भी FSL की टीम ही करती है। 

आफताब का नार्को टेस्ट दिल्ली के अंबेडकर अस्पताल में होगा। ये नार्को टेस्ट तीन दिन के अंदर करना होगा, क्योंकि कोर्ट ने 17 नवंबर को पांच दिन के अंदर नार्को टेस्ट पूरा करने का आदेश दिया था। नार्को टेस्ट करने में 1 से 2 दिन का समय लगेगा। अस्पताल और FSL की टीम के 4 से 5 लोग इस टेस्ट के दौरान मौजूद रहेंगे।

नार्को टेस्ट में 50 से ज्यादा सवाल किए जाएंगे और इसकी वीडियोग्राफी भी की जाएगी। नार्को टेस्ट से पहले मर्डर की जांच कर रही दिल्ली पुलिस ने एक स्टेटस रिपोर्ट जारी की है। इसके मुताबिक, जंगल और झाड़ियों से बरामद हड्डियों का DNA टेस्ट कराया जा रहा है।

बता दें कि स्टांप घोटाले के आरोपी अब्दुल करीम तेलगी और मुंबई पर हमला करने वाले आतंकी अजमल आमिर कसाब के नार्को टेस्ट से जांच को नई दिशा मिली थी। अब श्रद्धा मर्डर केस में भी इस टेस्ट से सबूत मिलने की उम्मीदें हैं। 

क्या आपको नार्को टेस्ट के बारे में पता है? क्या आप जानते हैं कि यह जांच कैसे होती है? शायद आपमें से कई लोगों को पता भी होगा लेकिन सबको यह नहीं मालूम तो चलिए हम आपको इस बारे में बताते है कि आखिर नार्को टेस्ट है क्या और यह कैसे होता है? 

क्या होता है नार्को टेस्ट?
-नार्को टेस्ट एक तरह का एनेस्थीसिया होता है।
-जिसमें आरोपी न पूरी तरह होश में होता है और ना ही बेहोश होता है। 
-नार्को टेस्ट का प्रयोग तभी किया जा सकता है जब उस आरोपी को इस बारे में पता हो और उसने इसके लिए हामी भरी हो।
-यह टेस्ट तभी करवाया जाता है जब आरोपी सच्चाई नहीं बता रहा हो या बताने में असमर्थ हो। 
-इस टेस्ट की मदद से आरोपी के मन से सच्चाई निकलवाने का काम किया जाता है। 
-अधिकतर आपराधिक मामलों में ही नार्को टेस्ट किया जाता है। 
-हां यह भी हो सकता है कि व्यक्ति नार्को टेस्ट के दौरान भी सच न बोले। 
-इस टेस्ट में व्यक्ति को ट्रुथ सीरम इंजेक्शन दिया जाता है। 
-वैज्ञानिक तौर पर इस टेस्ट के लिए सोडियम पेंटोथल, स्कोपोलामाइन और सोडियम अमाइटल जैसी दवाएं दी जाती हैं।
-इस दौरान मॉलिक्यूलर लेवल पर किसी शख्स के नर्वस सिस्टम में दखल देकर उसकी हिचक कम की जाती है।
-ऐसा करने से संभवत: व्यक्ति स्वाभविक रूप से सच बोलने लगता है।

कैसे होता है नार्को टेस्ट?
नार्को टेस्ट जांच अधिकारी, मनोवैज्ञानिक, डॉक्टर और फॉरेंसिक एक्सपर्ट की उपस्थिति में किया जाता है। इस दौरान जांच अधिकारी आरोपी से सवाल पूछता है और इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग की जाती है। नार्को टेस्ट एक परीक्षण प्रक्रिया होती है, जिसमें शख्स को ट्रुथ ड्रग नाम से आने वाली एक साइकोएक्टिव दवा दी जाती है। खून में दवा पहुंचते ही आरोपी अर्धबेहोशी की अवस्था में पहुंच जाता है। हालांकि कई मामलों में सोडियम पेंटोथोल का इंजेक्शन भी दिया जाता है।

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