डिजिटल करेंसी

Amrit Vichar Network
Published By Vishal Singh
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केंद्र सरकार डिजिटलीकरण को बढ़ावा दे रही है। ऑनलाइन पेमेंट के बाद अब सरकार डिजिटल करेंसी लेकर आ रही है। देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए गुरुवार से देश में इसकी शुरुआत की जा रही है। अभी इसकी शुरुआत पायलट प्रोजेक्ट के रुप में हो रही है। इस करेंसी के आने से देश की मौजूदा लेनदेन प्रणाली में कोई बदलाव नहीं होगा। डिजिटल रुपया को सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) का नाम दिया गया है। ये डिजिटल करेंसी मौजूदा करेंसी की तरह इस्तेमाल में आसान होगी। इसका लेन-देन भी सामान्य रुप से किया जा सकेगा।

कहा जा सकता है कि डिजिटल करेंसी के आने से सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस के लिए लेन-देन की लागत में कमी आएगी। पुराने समय से लेकर आधुनिक जीवन में मुद्रा के इस्तेमाल के तरीके में लगातार बदलाव हुआ है। पहले जहां लोग वस्तुओं के लेन-देन से चीजों को आपस में इस्तेमाल करते थे, वहीं उसके कुछ समय बाद अलग-अलग धातु की मुद्रा बाजार में आ गई और फिर कागजी नोटों का भी लेन-देन शुरू हुआ। लेकिन आज के दौर में चीजें लगातार बदल रही हैं, लोगों की आवश्यकता के मुताबिक इनमें बदलाव किए जा रहे हैं।

वर्तमान में डिजिटल मुद्राएं लोकप्रियता में बढ़ रही हैं। लेन-देन के इन तरीकों की वैश्विक स्वीकृति इस प्रवृत्ति को सुगम बना रही है। दुनिया भर की सरकारें एक अलग तरीके से आभासी मुद्राओं का अधिकतम लाभ उठाने की कोशिश कर रही हैं। अक्टूबर 2020 में बहामास के सेंट्रल बैंक ने सैंड डॉलर जारी किया। यह दुनिया का पहला सीबीडीसी था जिसने पूरे देश को कवर किया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में अपने बजट भाषण में देश में डिजिटल करेंसी लाने की घोषणा की थी। वित्त मंत्री के अनुसार, सीबीडीसी भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा, दक्षता बढ़ाएगा और देश की मुद्रा प्रबंधन प्रणाली के खर्चों को कम करेगा।

ट्रांजेक्शन कॉस्ट घटने के अलावा, इस डिजिटल करेंसी से सरकार की सभी अधिकृत नेटवर्क के भीतर होने वाले लेनदेन तक पहुंच हो जाएगी। इस प्रकार देश में आने और बाहर जाने वाले पैसे पर ज्यादा नियंत्रण होगा। इसके अलावा इससे नकली करेंसी की समस्या से छुटकारा मिलेगा। कागज के नोट की प्रिटिंग का खर्च बचेगा। डिजिटल करेंसी जारी होने के बाद हमेशा बनी रहेगी और यह कभी खराब नहीं होगी। टेक्नोलॉजी में भुगतान तेजी से होता है। सीबीडीसी के उपयोग से कैशलेस भुगतान को बढ़ावा मिलेगा और बैंकिंग परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव आएगा।