8 दिसंबर को मार्गशीर्ष पूर्णिमा, स्नान-दान का है खास महत्व, इन उपायों को अपनाने से मिल सकती है कई परेशानियों से मुक्ति

8 दिसंबर को मार्गशीर्ष पूर्णिमा, स्नान-दान का है खास महत्व, इन उपायों को अपनाने से मिल सकती है कई परेशानियों से मुक्ति

पूर्णिमा के दिन श्री विष्णु के स्वरूप भगवान सत्यनारायण की पूजा की जाती है। इसके साथ ही  सुबह स्नान आदि के बाद परिवार सहित भगवान सत्यनारायणकी कथा कही जाती है।

Margashirsha Purnima: 8 दिसंबर को मार्गशीर्ष पूर्णिमा पड़ रहा है। इस दिन पूर्णिमा का व्रत किया जाता है। हिंदू धर्म में पूर्णिमा के दिन स्नान और दान धर्म का खास महत्व होता है। ऐसा करने से मनुष्य कई गुना पुण्य कमा सकता है। पूर्णिमा के दिन श्री विष्णु के स्वरूप भगवान सत्यनारायण की पूजा की जाती है। इसके साथ ही  सुबह स्नान आदि के बाद परिवार सहित भगवान सत्यनारायणकी कथा कही जाती है। साथ ही आज पूर्णिमा के दिन भगवान के निमित्त व्रत रखने का भी विधान है। 

स्नानदान की पूर्णिमा के दिन करें ये उपाय
अगर आप अपने कारोबार में वृद्धि सुनिश्चित करना चाहते हैं तो पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान आदि के बाद 11 तुलसी के पत्ते लीजिए। अब उन तुलसी के पत्तों को अच्छे से धोकर, साफ कपड़े से पोंछ लें। इसके बाद एक कटोरी में थोड़ी-सी हल्दी लेकर पानी की सहायता से उसका घोल बना लीजिए। अब उन तुलसी के पत्तों पर हल्दी से ‘श्री’ लिखकर भगवान को अर्पित कीजिए। साथ ही भगवान से अपने कारोबार में वृद्धि के लिए प्रार्थना कीजिए।

अगर आप अपने घर-परिवार में अन्न-धन की बढ़ोतरी करना चाहते हैं तो पूर्णिमा के दिन आप 900 ग्राम चने की दाल लेकर उसे सत्यनारायण भगवान के चरणों में स्पर्श कराएं। इसके बाद उस चने की दाल को किसी सुपात्र ब्राह्मण को दान कर दें।

पूर्णिमा के दिन आपको प्रसाद के लिए थोड़ा-सा आटा लें और उसे कढ़ाई में डालकर घी में भून लें। साथ ही उसमें थोड़ी-सी चीनी भी डाल दें। इस प्रकार आपका प्रसाद तैयार हो जाएगा। अब आप उस तैयार प्रसाद में कुछ केले के टुकड़े डालिये और उसका भगवान को भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद बाकी बचे हुए प्रसाद को अपने परिवार के सदस्यों में और बाहर छोटे बच्चों में बांट दें। ऐसा करने से आपकी सेहत बेहतर बनी रहेगी।

अगर आप अपने साथ हमेशा परिवार का सहयोग बनाए रखना चाहते हैं तो आपको सुबह स्नान आदि के बाद तुलसी के पौधे में पानी डालना चाहिए। साथ ही सत्यनारायण भगवान का ध्यान भी करें। इसके बाद तुलसी की जड़ के पास से थोड़ी-सी गिली मिट्टी लेकर, उससे परिवार के सभी सदस्यों को और साथ ही स्वयं भी माथे पर तिलक लगाएं।

अगर आपका कोई ऐसा काम है, जिसे आप जल्द से जल्द पूरा करना चाहते हैं तो उसे पूरा करने के लिए आपको सुबह स्नान आदि के बाद साफ कपड़े पहनकर लक्ष्मी-नारायण के मंदिर में जाना चाहिए। इसके साथ ही भगवान को कटे हुए गोले के टुकड़े और मिश्री का प्रसाद अर्पित करना चाहिए। साथ ही अपने काम के जल्द से जल्द पूरा होने की प्रार्थना करनी चाहिए।

अगर बिजनेस को लेकर आपका पार्टनर आपकी कोई बात नहीं मान रहा है, सिर्फ अपने डिसीजन आप पर थोप रहा है तो ऐसी सिचुऐशन को ठीक करने के लिए आज के दिन आपको नारायण के मंत्र का जाप करना चाहिए। मंत्र इस प्रकार है- ऊँ नमो भगवते नारायणाय।

सुबह स्नान आदि के बाद थोड़ी-सी रोली लें और फिर उसमें दो-चार बूंद घी डालना चाहिए। अब घी और रोली को अच्छे से मिला लीजिए। इसके बाद इस रोली से अपने घर के मंदिर के बाएं और दाएं दोनों तरफ स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। आज के दिन ऐसा करने से आपके घर की सुख-समृद्धि बनी रहेगी।

अगर भाई-बहनों के साथ आपके रिश्ते कुछ ठीक नहीं चल रहे हैं तो उनके साथ रिश्तों में मीठास घोलने के लिए पूर्णिमा के दिन आपको दूध, चावल की खीर बनानी चाहिए। साथ ही उसमें एक-दो तुलसी की पत्ती भी डालनी चाहिए। यहां ध्यान रखियेगा कि तुलसी की पत्ती को साबुत ही खीर में डालना है न कि तोड़कर। अब इस खीर का सत्यनारायण भगवान को भोग लगाएं। भोग लगाने के 10 मिनट बाद उस खीर को प्रसाद के रूप में अपने भाई-बहनों को खिला दें और थोड़ा प्रसाद खुद भी खा लें।

अगर आप अपने जीवनसाथी के साथ प्यार बरकरार रखना चाहते हैं तो सुबह स्नान आदि के बाद सत्यनारायण भगवान को चंदन का तिलक लगाएं। साथ ही देवी लक्ष्मी को लाल चुनरी चढ़ाएं।

अगर आप अपने कार्यों की सफलता सुनिश्चित करना चाहते हैं तो अपनी सफलता सुनिश्चित करने के लिए आज के दिन आप सत्यनारायण भगवान को चंदन की खुशबू अर्पित करें। साथ ही भगवान को किसी पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं। अगर आप अपने घर-परिवार को और खास लोगों को हमेशा खुश देखना चाहते हैं तो आज के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर सत्यनारायण भगवान की विधि-पूर्वक पूजा करें। पूजा के बाद हाथ में पीले फूलों की पुष्पांजलि लेकर भगवान को अर्पित करें।

अगर आप ऑफिस में अपने कलीग्स की बैक बाइटिंग से परेशान हैं तो उससे छुटकारा पाने के लिए चावलों को पकाकर उसमें थोड़ा-सा खाने वाला पीला रंग और थोड़ी-सी शक्कर मिलाएं। अब उसके तीन हिस्से कीजिए । एक हिस्सा गाय को खिला दीजिये। एक हिस्सा मंदिर में दे आएं और एक हिस्सा स्वयं खा लीजिए।

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