पढ़िए मनीषा सिन्हा की कविता- 'बहुत मामूली सी चीज है प्यार, इसे इतना खास न बनाओ'

पढ़िए मनीषा सिन्हा की कविता- 'बहुत मामूली सी चीज है प्यार, इसे इतना खास न बनाओ'

बहुत मामूली सी चीज है प्यार
इसे इतना खास न बनाओ
काफी आसान है इसका लेन-देन
नामुमकिन न बनाओ

हजारों तूफान में संयम
भी रखती हूं
बच्चों की तरह अक्सर
मचल भी उठती हूं
कभी कभी खुद को
मैं समझ नहीं आती हूं

मन की बात

मन का क्या है
मन तो अब भी
दौड़ रहा है…
बंद कमरों के बाहर
निकल के,
आस की धुन में
लिपे हुए
उस सुबह की बातें
करता है
जो इस काले दिन रात में
कोई देख नहीं पाता
बहकी बातें करता है
उस सुबह से रोज
मिलता है
ऐसी बातें करता है
सच बोलूं तो, अच्छी लगती हैं
मन की ये सब बातें
तुम्हारा मन भी ऐसी बातें
करता है क्या तुमसे
तो फिर शायद सच है ये सब
चलो मान लें
मन की बातें

खुश हूं मैं

आपके ख्वाबों में अक्सर
अपनी चाहत मिला देती हूं मैं
हां, थोड़ी दीवानी हूं मैं

दुनिया से मिलने का सिलसिला
अब तो लंबा हो चला
इतने तजुर्बे के बाद भी
अब तक दीवानी हूं मैं

यकीन नहीं करते हैं लोग
अक्सर मेरे प्यार पर
कहते हैं- मीठी बात हो,
शायद विश्वासघात हो..

बदल के भी देखा है खुद को
मन नहीं लगता वहां पर

छोड़ो यार, खुश हूं मैं
दीवानगी से जिंदा हूं मैं।

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