लखनऊ: बेसिक सुविधाओं के बिना आवास बनाने वाले अधिकारियों के नाम सामने आए, एलडीए ने किया खुलासा
लखनऊ, अमृत विचार । लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने कानपुर रोड के पास देवपुर पारा में करोड़ों रुपये खर्च कर गरीबों के लिए आश्रयहीन योजना के अंतर्गत आवास बना दिए लेकिन उनमें शौचालय, रसोई और स्नानघर जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं दीं। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच द्वारा इस मामले में सख्त रुख अपनाने के बाद, एलडीए ने हलफ़नामा दाखिल कर प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए अधिकारियों के नामों का खुलासा किया है। इन अधिकारियों में मुख्य अभियंता, अधिशाषी अभियंता, सहायक अभियंता व अवर अभियंता शामिल हैं।
मामले में स्थानीय अधिवक्ता मोतीलाल यादव ने जनहित याचिका दाखिल कर कहा है कि वर्ष 2000 में एलडीए ने देवपुर पारा में आश्रयहीन लोगों के लिए 1968 आवास बनाए थे। लेकिन इन आवासों में टॉयलेट और किचन जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं थीं और इन आवासों के निर्माण कार्य में तमाम अनियमितताएं बरती गईं, परिणामस्वरूप ये दस वर्ष में ही जर्जर होने लगे, फिर पता चला कि इन आवासों में तो टॉयलेट और किचन जैसी बुनियादी सुविधाएं ही नहीं दी गईं। याचिका पर सुनवाई करते हुए, न्यायालय ने दोषी अफसरों के नाम बताने का आदेश एलडीए को दिया। आदेश के अनुपालन में एलडीए ने हलफ़नामा दाखिल कर कुल सात अधिकारियों के नाम बताए जिन्हें मामले में प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया है। एलडीए की ओर से यह भी बताया गया है कि प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए उक्त अधिकारियों के विरुद्ध जांच भी शुरू कर दी गई है व उन्हें आरोप पत्र जारी करते हुए, जवाब तलब किया गया है। एलडीए ने इस तथ्य को भी स्वीकार किया है कि आवासों में बुनियादी सुविधाएं न देने की वजह से उक्त आश्रयहीन योजना असफल हो गई।
इन अधिकारियों को पाया गया प्रथम दृष्टया दोषी
एलडीए ने बताया कि मुख्य अभियंता विवेक मेहरा समेत अधिशाषी अभियंता एके गुप्ता व एमएस गुरुदित्ता, सहायक अभियंता फुल्लन राय व एसएस वर्मा तथा अवर अभियंता बीके राय व देवेन्द्र गोस्वामी को मामले में प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया है। एलडीए ने कोर्ट को यह भी बताया कि उपरोक्त अधिकारियों को जारी आरोप पत्र में बुनियादी सुविधाएं न दिए जाने तथा निर्माण कार्य मानक अनुरूप न होने के साथ ही योजना की सर्विसेज पूर्ण न किए जाने तथा भवनों का अनुरक्षण न किए जाने का भी आरोप लगाया गया है।
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