ठंडी हवाओं के थपेड़ों से बचना हो तो बसों के शीशे पकड़कर बैठें

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Published By Vinay Shukla
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परिवहन मंत्री के निर्देश के बाद रोडवेज बसों की नहीं सुधरी दशा, ठंड में कष्टदायक सफर करने को यात्री मजबूर

अमृत विचार, लखनऊ। बस सेवाओं और उनकी गुणवत्ता को लेकर यूं तो परिवहन मंत्री से लेकर अधिकारी बडे़-बडे़ दावे करते हैं। कार्यशाला से बसों के बाहर निकलने के लिए दनादन निर्देश जारी करते हैं लेकिन व्यवस्थाओं में सुधार होता दिख नहीं रहा है। इस कड़ाके की सर्दी में शनिवार को जर्जर रोडवेज बसों का हाल जानने अमृत विचार टीम कैसरबाग बस स्टेशन पहुंची तो बसें केवल बदहाल मिलीं बल्कि यात्री शीशों को खींचते मिले।

कहने लगे बस भीषण गंदी है। पहले धूल साफ करो फिर बस के शीशों थोड़ी-थोड़ी देर पर खींचते रहो। सफर के दौरान यात्री जर्जर बसों में शीशे पकड़कर बैठने को मजबूर दिखे। यही नहीं कुछेक ऐसी बसें भी मिलीं जिनका इमरजेंसी दरवाजा खिड़कियों में बांध कर रखा गया था। इसकी वजह से खिड़की का शीशा ही बंद नहीं हो पा रहा था। पेश है परिवहन निगम की बसों के हाल पर अपराह्न करीब डेढ़ बजे की एक विस्तृत रिपोर्ट...

अनुबंधित सेवाओं का हाल बदतर

सीतापुर, महमूदाबाद, बिसवां, लखीमपुर, गोला, बाराबंकी समेत विभिन्न डिपो में संचालित हो रही अनुबंधित सेवाओं को बदतर कहा जाए तो गलत होगा। बसों की धुलाई तो शायद ही होती हो। बदहाल सीटें, जर्जर चेसिस के साथ बिना किसी रबरिंग के लगे खिड़कियों के शीशे ब्रेक लगते ही पीछे खिसक जाते हैं जिससे रही सर्द हवा यात्रियों को बेहाल करती है।

कहां गई बसों की 13 बिन्दुओं की पड़ताल

उच्चाधिकारियों ने बस सेवाओं में सुधार के लिए कई दिशा-निर्देश दिए। इनमें एक निर्देश 13 बिंदुओं पर बस सेवा की पड़ताल का था। कहा गया था कि बसें 13 बिंदुओं के जांच के बाद ही कार्यशाला से बाहर निकलें। ऐसे में पड़ताल का यह आदेश भी कागजी है। क्षेत्रीय प्रबंधक मनोज पुंडीर के मुताबिक, बस सेवाओं में सुधार के लिए सख्त दिशा-निर्देश दिए गए हैं। बावजूद इसके अगर बसों का हाल गलत है तो कार्रवाई होगी। अनुबंधित बसों के आपरेटरों को नोटिस जारी की जाएगी। साथ परिवहन निगम की बसों के लिए सेवा प्रबंधक को निर्देश देकर तत्काल सुधार कराया जाएगा।

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