Joshimath Crisis: दरकते मकानों में बेंटोनाइट तकनीक से भरी जाएंगी दरारें, भू धंसाव का खतरा होगा कम

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Published By Shobhit Singh
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जोशीमठ, अमृत विचार। जोशीमठ में भू-धंसाव के कारण मकानों में पड़ती दरारों ने प्रशासन को चिंता में डाल रखा है। जोशीमठ में रहनेवाले अब तक सैकड़ों परिवारों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया है।

इस बीच, प्रशासन ने मकानों और सड़कों पर पड़ने वाली दरारों को भरने का निर्णय लिया है। दरारों को भरने के लिए अधिकारी प्राथमिक तौर पर बेंटोनाइट तकनीक की मदद लेंगे।

अधिकारियों के मुताबिक, बेंटोनाइट तकनीक में एक क्ले का इस्तेमाल होता है। इस क्ले पर जैसे ही पानी डाला जाता है तो यह फैलने लगता है और फिर जम जाता है। दरारों को भरने के लिए इसी क्ले का उपयोग होगा। बताया जा रहा है कि अभी जो स्थिति है, उसमें बारिश का पानी सीधे दरारों में चला जा रहा है। जिससे भू धंसाव का खतरा और बढ़ गया है।


एसडीआरएफ की टीमें मौके पर मौजूद
अगर क्ले की मदद से दरारें भर दी जाएंगी तो इसमें बारिश का पानी घुस नहीं पाएगा। अधिकारी बताते हैं कि बेंटोनाइल तकनीक जोशीमठ के दरारों को भरने में बड़ी मददगार साबित हो सकती है। हालांकि, किसी भी खतरे से निपटने के लिए एसडीआरएफ की टीमें मौके पर मौजूद हैं। वहीं, आपदा पीड़ित भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं कि अभी बारिश न आए, सैकड़ों परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।

अधिकतर लोगों का सामान अब भी खुले आसमान के नीचे पड़े हुए हैं। आपदा पीड़ितों का कहना है कि अभी जो हल्की बारिश आई थी, उसमें जैसे-तैसे तो अपना सामान बचा पाए, लेकिन जैसे ही बारिश तेज होगी और बर्फबारी होने लगेगी तो स्थिति को संभालना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में बारिश न हो, यही बेहतर है।

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