विदेशी पाठकों, लेखकों के बीच विश्व साहित्य के आईने के रूप में उभर रहा जेएलएफ

Amrit Vichar Network
Published By Ashpreet
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जयपुर। वैश्विक साहित्य में यूरोप और उत्तर अमेरिका का खासा दखल रहने के बीच विदेशी पाठक और लेखक भारत में आयोजित होने वाले जयपुर साहित्य उत्सव (जेएलएफ) को अंतरराष्ट्रीय साहित्य के लिहाज से एक आईने के रूप में देख रहे हैं और उनके हिसाब से जेएलएफ से वैश्विक साहित्य का दायरा और विस्तृत हुआ है।

साल 2010 से लगातार जेएलएफ में शामिल हो रहे स्वीडिश पत्रकार और लेखक पेर जे एंडरसन ने एक न्यूज एजेंसी के साथ विशेष बातचीत में कहा, ''विश्व साहित्य में अगर आप देखें तो यूरोप और उत्तर अमेरिका का अधिक दबदबा रहा है।

विश्व साहित्य के नाम पर दुनिया के इन्हीं देशों के लेखकों की चर्चा होती है, लेकिन जेएलएफ सही मायने में वैश्विक साहित्य का आईना है, जहां 21 भारतीय और 14 अंतरराष्ट्रीय भाषाओं के 350 से अधिक लेखक भाग लेते हैं।'' 'फ्रॉम इंडिया टू यूरोप फॉर लव' उपन्यास के लेखक एंडरसन कहते हैं, ''यूरोपीय साहित्य, पश्चिनोन्मुखी है, लेकिन यहां आकर आपको साहित्य के भूगोल के एक दूसरे हिस्से को भी जानने का मौका मिलता है।

'' 'फ्रॉम इंडिया टू यूरोप फॉर लव' ओडिशा के एक आदिवासी युवक पी के महानंदिया की कहानी है, जिसे एक स्वीडिश पर्यटक शार्लेट वॉन शेडविन से नयी दिल्ली के कनॉट प्लेस में पहली नजर में प्यार हो गया था और अपने इसी प्यार को पाने के लिए महानंदिया ने भारत से स्वीडन तक की साइकिल यात्रा की थी। यह दंपती आज भी स्वीडन में रहता है।

एंडरसन लेखक और पत्रकार होने के साथ ही स्वीडन की लोकप्रिय यात्रा पत्रिका 'वैगाबांड' के सह संस्थापक हैं और पिछले करीब 30 सालों से उनका लगातार भारत आना-जाना रहा है। स्लोवेनिया से आई ऐना कहती हैं कि जेएलएफ बौद्धिकता के स्तर पर बहुत प्रेरित करने वाला है। ऐना जेएलएफ में भाग लेने के लिए कई बार भारत आ चुकी हैं। वह कहती हैं, ''यह सही मायनों में विचारों का समागम है।

यहां आकर यह जानने समझने का मौका मिलता है कि साहित्य को लेकर शेष दुनिया में क्या कुछ नये प्रयोग हो रहे हैं तथा हमें दुनिया के उन हिस्सों की समस्याओं और संस्कृति को भी करीब से जानने सुनने का अवसर मिलता है।'' उनकी दृष्टि से देखा जाए तो जेएलएफ दुनिया का सबसे बड़ा साहित्य उत्सव है, जिसमें विश्व साहित्य की नब्ज समझ आती है।

संपादक, अनुवादक भारतविद् और भारतीय साहित्य का अंग्रेजी से क्रोएशियाई भाषा में अनुवाद करने वाली क्रोएशिया की लौरा कहती हैं, ''जेएलएफ दक्षिण एशियाई साहित्य के बारे में एक नजरिया पेश करता है। लौरा को भारतीय साहित्य के साथ ही यहां की कला संस्कृति से भी विशेष प्रेम है और वह 2012 में पहली बार यहां आने के बाद इसकी मुरीद हो गई थीं।

उन्होंने समकालीन भारतीय साहित्य का 'पोपोडेनेवेनी पिलुज्स्कोवी': आफ्टरनून शॉवर शीर्षक से क्रोएशियाई भाषा में अनुवाद किया है। दिल्ली में फ्रांसीसी दूतावास में कार्यरत ईजा सप्ताहांत में जयपुर आई हैं और उन्हें जेएलएफ का माहौल और ताजगी पसंद आ रही है। जयपुर में आयोजित 16वें जेएलएफ में इस बार 21 भारतीय और 14 अंतरराष्ट्रीय भाषाओं की भागीदारी है तथा 19 जनवरी से शुरू हुआ यह उत्सव 23 जनवरी तक चलेगा। 

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