Bhatkhande Sanskriti Vishwavidyalaya: संजू का तबला, हरिहरन की गायकी और शोवना नारायण का कथक रहा आकर्षण

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Published By Muskan Dixit
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लखनऊ, अमृत विचार। भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह की समापन संध्या पर बनारस घराने के तबला वादक संजू सहाय, पद्मश्री शोवना नारायण का कथक नृत्य और हरिहरन के गजल गायन का आकर्षण बिखरा।

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संजू सहाय ने अपने एकल तबला वादन में पंडित राम सहाय की रचना से अपना कार्यक्रम शुरू किया। तबले पर थिरकती उनकी उंगलियों के जादू का हर कोई कायल नजर आया। उनके साथ पंडित धर्मनाथ मिश्र हारमोनियम पर संगत कर रहे थे।

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तबला वादन के बाद पद्मश्री शोवना नारायण के कथक नृत्य का आकर्षण देखने को मिला। शोवना नारायण की फ्लाईट कैंसिल होने के बावजूद उन्होंने लखनऊ में अपना कार्यक्रम रद्द नहीं किया। वह सड़क मार्ग से लखनऊ पहुंचीं और अपने शानदार नृत्य से लोगों को झूम्नो को विवश कर दिया। उनके साथ तबले पर यश गंगानी और हारमोनियम पर अजहर शकील संगत कर रहे थे।

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शताब्दी समारोह का अंतिम आकर्षण था प्रख्यात गजल गायक हरिहरन का गायन। हरिहरण ने सुनाया :- रंजिश ही सही दिल को दुखाने के लिए आ, आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ।

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रंग कितने थे कोई रास न आया उसको... को लोगों ने खूब पसंद किया। उनकी यह गजल भी लोगों ने खूब पसंद की :- लोग कहते हैं अजनबी तुमको, अजनबी तेरी जिन्दगी तुमको। हरिहरन की गजलों का जादू देर रात तक लोगों के सर चढ़कर बोला।

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