खेमका ने खट्टर से ‘भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म’ करने के लिए की सतर्कता विभाग में तैनाती की मांग 

खेमका ने खट्टर से ‘भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म’ करने के लिए की सतर्कता विभाग में तैनाती की मांग 

चंडीगढ़। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के वरिष्ठ अधिकारी अशोक खेमका ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को पत्र लिखकर ‘भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए’ उन्हें सतर्कता विभाग में तैनात करने की मांग की है। खेमका को उनके तीन दशक लंबे करियर में 50 से अधिक तैनातियां मिल चुकी हैं। वह एक बेहद ईमानदार अधिकारी के रूप में जाने जाते हैं। हालांकि, खेमका का पेशेवर जीवन विवादों से घिरा रहा है और उन्हें कई बार ऐसे पदों पर नियुक्त किया गया, जिन्हें ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं माना जाता है।

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खट्टर को लिखे पत्र में खेमका ने कहा है कि उन्होंने भ्रष्टाचार को खत्म करने की धुन के चलते अपने सेवा करियर की ‘कुर्बानी’ दे दी। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने लिखा है कि उनकी मौजूदा तैनाती (अभिलेखागार विभाग) में जहां ज्यादा काम नहीं है, वहीं कुछ अधिकारियों पर कई प्रभार और विभागों का बोझ है, जिसके चलते उन्हें हमेशा युद्ध स्तर पर काम करते रहना होता है। उन्होंने 23 जनवरी को लिखे पत्र में कहा है कि “काम का एकतरफा आवंटन जनहित में नहीं होता।”

हरियाणा सरकार ने नौ जनवरी को खेमका का तबादला कर दिया था। उन्हें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद से हटाकर अभिलेखागार विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव बना दिया गया था। यह लगभग 31 साल के करियर में उनकी 56वीं तैनाती थी। 1991 बैच के हरियाणा कैडर के आईएएस अधिकारी खेमका वर्ष 2012 में राष्ट्रीय स्तर पर तब सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने गुरुग्राम में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े एक जमीन सौदे के ‘म्यूटेशन’ (दाखिल खारिज) को रद्द कर दिया था।

‘म्यूटेशन’ किसी जमीन या संपत्ति के मलिकाना हक के स्थानांतरण से जुड़ी प्रक्रिया का हिस्सा है। खट्टर को लिखे पत्र में खेमका ने ‘भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए’ सतर्कता विभाग में अपनी सेवाएं देने की पेशकश की है। उन्होंने लिखा है, “जैसा कि आप जानते हैं, भ्रष्टाचार सभी जगह मौजूद है। जब मैं भ्रष्टाचार देखता हूं तो मेरी आत्मा दुखी हो जाती है। इस ‘कैंसर’ को जड़ से खत्म करने की धुन में मैंने अपने सेवा करियर की ‘कुर्बानी’ दे दी।”

खेमका ने कहा है, “कथित सरकारी नीति के अनुसार, भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म किए बिना एक नागरिक के अपनी वास्तविक क्षमता को हासिल करने के सपने को कभी भी साकार नहीं किया जा सकता। वह रोजाना अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ने तक सिमटकर रह जाएगा।” उन्होंने उल्लेख किया है कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में हमेशा अग्रिम पंक्ति में रहे हैं और भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए सतर्कता विभाग सरकार का मुख्य हथियार है।

खेमका ने कहा, “अपने सेवा करियर के अंत में मैं भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए सतर्कता विभाग के प्रमुख के रूप में सेवाएं देने की पेशकश करता हूं।” उन्होंने लिखा है, “अगर मौका दिया जाता है, तो मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ वास्तविक लड़ाई होगी और किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा, फिर चाहे वह कितना ही ताकतवर और रसूखदार क्यों न हो।” खेमका ने कहा है कि उच्चतम न्यायालय ने 1987 के ‘पी के चिन्नासामी बनाम तमिलनाडु सरकार और अन्य’ मामले में कहा था कि एक सरकारी अधिकारी को उसके कद के अनुरूप तैनाती और काम दिया जाना चाहिए।

उन्होंने लिखा है, “मुझे नौ जनवरी 2023 को जारी सरकारी आदेश के तहत अभिलेखागार विभाग का काम सौंपा गया है।” वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने उल्लेख किया है कि सतर्कता विभाग का सालाना बजट मजह चार करोड़ रुपये है, जो ‘राज्य के कुल बजट के 0.0025 फीसदी से भी कम है।’ उन्होंने लिखा है, “अतिरिक्त प्रमुख सचिव के रूप में मेरा वार्षिक वेतन 40 लाख रुपये है, जो अपने आप में विभाग के बजट का 10 प्रतिशत है। इसके अलावा, अभिलेखागार विभाग में हफ्तेभर में औसतन एक घंटे से अधिक का काम भी नहीं है।”

खेमका ने कहा है, “इसके विपरीत, कुछ अधिकारी प्रभार और विभागों के बोझ तले इस कदर तबे हुए हैं कि उन्हें हर समय युद्ध स्तर पर काम करते रहना होता है।” उन्होंने लिखा है, “काम का एकतरफा आवंटन जनहित में नहीं होता। सिविल सेवा बोर्ड को वैधानिक नियमों के तहत काम करने और प्रत्येक अधिकारी की सत्यनिष्ठा, क्षमता और बुद्धि को ध्यान में रखते हुए आपसे पूर्व सिफारिशें करने की अनुमति दी जानी चाहिए।”

खेमका द्वारा मुख्य सचिव संजीव कौशल को पत्र लिखे जाने के कुछ दिनों बाद ही अभिलेखागार विभाग में उनका तबादला कर दिया गया था। इस पत्र में खेमका ने संकेत दिया था कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का उच्च शिक्षा विभाग में विलय होने के बाद उनके पास काम नहीं है। खेमला को उनके पूरे सेवा काल में औसतन हर छह महीने पर तबादले का सामना करना पड़ा है। यह चौथी बार है, जब उन्हें सतर्कता विभाग में तैनात किया गया है। इनमें से तीन तैनातियां उन्हें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकारों में मिली हैं।

वह अतीत में अभिलेखागार विभाग के महानिदेशक और प्रधान सचिव के रूप में सेवाए दे चुके हैं। खेमका को पहली बार 2013 में विभाग में स्थानांतरित किया गया था, जब कांग्रेस सत्ता में थी। वह अतीत में करियर में पिछड़ने को लेकर कई बार मन में निराशा के भी संकेत दे चुके हैं।

बीते साल अक्टूबर में कुछ अधिकारियों को मिली पदोन्नति के बाद खेमका ने ट्वीट किया था, “भारत सरकार के सचिवों के रूप में नवनियुक्त मेरे बैच के साथियों को बधाई! हालांकि, यह एक खुशी का पल है, लेकिन मेरे करियर में पीछे रह जाने के कारण यह साथ में उतनी ही निराशा भी लेकर आया है।” उन्होंने लिखा था, “सीधे पेड़ों को पहले काटा जाता है। कोई मलाल नहीं। नए संकल्प के साथ, मैं अडिग रहूंगा।”

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