घरेलू शेयर बाजार में शुक्रवार से सौदा होने के एक दिन के भीतर होगा निपटान 

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Published By Vishal Singh
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नई दिल्ली। घरेलू शेयर बाजार शुक्रवार से एक नये दौर में प्रवेश कर रहा है। इसमें अंतिम सूची में शामिल बड़ी कंपनियों के शेयरों की खरीद-बिक्री का निपटान सौदा होने के एक दिन बाद (टी प्लस 1) ही हो जाएगा। इससे ग्राहकों के लिये मार्जिन जरूरत कम होगी और नकदी बढ़ेगी जिससे खुदरा निवेश बढ़ेगा। टी प्लस 1 यानी ट्रेड प्लस वन बताता है कि बाजार में व्यापार संबंधित सौदों का निपटान कारोबार के बाद एक दिन के भीतर हो जाएगा। 

अब तक घरेलू शेयर बाजार में खरीद-बिक्री का निपटान सौदे के बाद दो कामकाजी दिवस (टी प्लस 2) में होता है। शेयर बाजार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और बीएसई ने नवंबर 2021 में संयुक्त बयान में कह था कि वे चरणबद्ध तरीके से टी प्लस 1 निपटान व्यवस्था शुरू करेंगे। इसकी शुरूआत 25 फरवरी, 2022 से हई। शुरू में बाजार मूल्यांकन के लिहाज से नीचे की 100 कंपनियां इस व्यवस्था में शामिल हुईं। 

उसके बाद, बाजार पूंजीकरण मानदंड के आधार पर 500 शेयरों को मार्च के अंतिम शुक्रवार को शामिल किया गया। उसके बाद हर महीने अन्य शेयरों को शामिल किया जाता रहा। घरेलू बाजार में 27 जनवरी से इक्विटी नकद खंड (शेयरों के वायदा एवं विकल्प कारोबार समेत) में सभी कारोबार अब टी प्लस 1 आधार पर होगा। यानी सौदे के एक दिन के भीतर उसका निपटान हो जाएगा। 

शेयर ब्रोकर कंपनी जीरोधा की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार शेयर, ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड), बॉन्ड, रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (रीट) और बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट (इनविट) समेत प्रतिभूतियों की अंतिम सूची शुक्रवार से टी प्लस 1 निपटान व्यवस्था में जाएगी। यह पहली बार नहीं है जब भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सौदा निपटान चक्र को कम करने के लिये कदम उठाया है। 

इससे पहले, 2002 में बाजार नियामक ने निपटान में लगने वाले समय को टी प्लस 5 से घटाकर टी प्लस 3 किया था। फिर 2003 में इसे कम कर टी प्लस 2 कर दिया गया। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि टी प्लस 1 निपटान व्यवस्था से नकदी के लिये अतिरिक्त दिन का इंतजार नहीं करना होगा। अपसाइड एआई के सह-संस्थापक अतनु अग्रवाल ने कहा कि दुनिया भर के ज्यादातर बाजार टी प्लस 2 आधार पर काम करते हैं। टी प्लस 1 निपटान व्यवस्था से देश इस मामले में अमेरिका से भी आगे होगा। 

उन्होंने कहा, यह काफी महत्वपूर्ण कदम है और भारत के वित्तीय परिवेश में एक और उपलब्धि है। यह बदलाव निश्चित रूप से नकदी का चलन बढ़ाएगा। यह सभी पक्षों यानी निर्गम जारी करने वाले, निवेशकों और मध्यस्थों के लिये काफी सकारात्मक है। इस व्यवस्था से मार्जिन जरूरत कम होगी और नकदी बढ़ेगी जिससे खुदरा निवेश बढ़ेगा।

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