विश्व कैंसर दिवस : जागरूकता की कमी और कैंसर का प्रसार, 2022 में 14 लाख से अधिक लोग हो गये इस बीमारी का शिकार

विश्व कैंसर दिवस : जागरूकता की कमी और कैंसर का प्रसार, 2022 में 14 लाख से अधिक लोग हो गये इस बीमारी का शिकार

अमृत विचार,लखनऊ । विश्व कैंसर दिवस हर साल 4 फरवरी को यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल (यूआईसीसी) के तत्वावधान में मनाया जाता है। यह एक वैश्विक पहल है जो कि पूरे विश्व को कैंसर के खिलाफ लड़ने के लिए एकजुट करती है। इस दिन का उद्देश्य कैंसर के खिलाफ जागरुकता फैलाना है। जिससे कि कैंसर से होने वाली मौतों को रोका जा सके। इस साल कि थीम है "Close the care Gap। यह जानकारी केजीएमयू के  पल्मोनरी एण्ड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.वेद प्रकाश ने विभाग में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान दी।

उन्होंने कहा कि कैंसर दुनिया भर में एक प्रमुख स्वास्थ्य का मुद्दा है यह अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2018 में कैंसर के 1.8 करोड से अधिक मामले दर्ज किये गये थे और वर्ष 2040 तक यह आकडा 2.9 करोड से भी ज्यादा पहुचने की उम्मीद है। कैंसर दुनिया भर में मृत्यु का एक प्रमुख कारण है जो कि 2020 में 1 करोड मृत्यु दर्ज हुई हैं जोकि सभी 6 मृत्यु में 1 मृत्यु कैंसर से हुई है। जागरूकता से ही इस बीमारी से बचाव संभव है।

उन्होंने बताया कि 2020 में भारत में कुल मामलों की अनुमानित संख्या 27 लाख से अधिक थी और वर्ष 2022 में कैंसर के नये मामले 14.6 लाख पाये गये हैं। मौजूदा आकडों के अनुसार भारत में प्रत्येक 9 में से एक व्यक्ति को अपने जीवन काल में कैंसर होने की संम्भावना होती है। वर्ष 2020 में अनुमानित कैंसर से सम्बन्धित मृत्यु की संख्या 8.5 लाख से अधिक थी।

उन्होंने बताया कि पुरुषों में प्रमुख रुप से मुँह का कैंसर, फेफड़े का कैंसर, पेट का कैंसर, और आँत का कैंसर, एवं महिलाओं में स्तन कैंसर, गर्भाशय का कैंसर, और ओवरी का कैंसर, होता है।

उन्होंने कहा कि धूम्रपान के रूप में तम्बाकू का उपयोग, शराब का सेवन, आहार में कम फल, सब्जी और फाइबर, कुपोषण, शारीरिक गतिविधि की कमी ,अनुवांशिक कारण कैंसर होने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। इसके अलावा कुछ कैंसर ह्यूमन पेपिलोमा वायरस, हेपेटाइटिस बी और सी वायरस आदि जैसे संक्रमणों से भी हो सकता है।

प्रोफेसर वेद प्रकाश की माने तो केजीएमयू में पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग का उद्देश्य फेफड़ों के कैंसर रोगियों के प्रति समग्र दृष्टिकोण रखना है। सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रोफेसर विजय कुमार मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग की डॉ ईशा जाफा के सहयोग से टीम यहां फाइबर ऑप्टिक ब्राँकोस्कोपी थोरेंकोस्कोपी, डंबीयूएस जैसी अत्याधनिक तकनीक का उपयोग करके फेफड़े के कैंसर के मरीजों के इलाज का काम कर रही है। बताया जा रहा है कि यहां मामूली लागत पर  यहाँ मरीज की कैंसर की मॉलिकुलर टेस्टिंग करते हैं और उन्हें एडवांस टार्गेटेड इलाज दिया जाता है यहाँ पर कैंसर की प्रवृत्ति को समझने और जल्द से जल्द उचित उपचार प्रदान करने के लिए फेफड़े के कैंसर के रोगियों में मोलिकुलर टेस्टिंग का शोध अध्ययन किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि मौजूद समय में हम रक्त में कैंसर सेल डीएनए और माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए का पता लगाने का मोलिक्युलर टेस्टिंग का अध्ययन किया जा रहा है इस क्षेत्र में हाल के अध्ययनों में भी आशाजनक परिणाम मिले है पर अभी भी बहुत कुछ किये जाने की आवश्यकता है इस अध्ययन के शुरुआती नतीजे हाल ही में जर्मन ऑफ कैंसर रिसर्च एवं थेरप्यूटिक्स में प्रकाशित हुए हैं। इस अध्ययन में  डॉ.वेद प्रकाश के साथ स्टेम सेल लैब सेंटर फॉर एडवांस निर्सच केजीएमयू से डॉ. सतेन्द्र कुमार एवं एरा मेडिकल कॉलेज की डॉ. अंजना सिंह शामिल हैं।

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