जम्मू कश्मीर में अतिक्रमण रोधी अभियान हमारी जमीन पर ‘कब्जा’ करने की कोशिश: पीडीपी 

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Published By Vishal Singh
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श्रीनगर। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने रविवार को दावा किया कि जम्मू कश्मीर में मौजूदा अतिक्रमण रोधी अभियान ‘‘हमारी जमीन पर कब्जा करने और जनसांख्यिकी में भारी बदलाव लाने’’ का एक और प्रयास है। पार्टी ने आरोप लगाया कि केंद्र ने बेरोजगारी और कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर ध्यान देने के बजाय लोगों को उनके घरों से बेदखल करने को ‘प्राथमिकता’ दी है। 

रविवार को जारी अपने मासिक ‘न्यूजलेटर’ ‘स्पीक अप’ में पार्टी ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में ‘‘केंद्र से हमें केवल भूमि कानूनों में संशोधन प्राप्त हुए हैं, क्योंकि भारत सरकार के लिए यह हमेशा जमीन ही रहेगी।’’ पार्टी ने कहा, ‘‘यहां तक कि लद्दाख के लोग जो निरस्त (अनुच्छेद 370) से खुश थे, वे पछता रहे हैं, क्योंकि उन्हें एहसास है कि उन्हें भारत सरकार द्वारा धोखा दिया गया है। एक साल से अधिक समय से वे छठी अनुसूची के अनुसार राज्य का दर्जा और विशेष दर्जे की मांग कर रहे हैं।’’ 

पीडीपी ने कहा, ‘‘(अनुच्छेद 370) निरस्त किए जाने से पहले, लद्दाख के लोगों को सरकारी नौकरियों और भूमि के स्वामित्व के अधिकारों पर तरजीह प्राप्त थी। उनके नेताओं ने भी अब स्वीकार किया है कि वे जम्मू कश्मीर के हिस्से के रूप में काफी बेहतर स्थिति में थे।’’ महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी ने कहा कि प्रशासन का ‘‘व्यापक बेदखली’’ अभियान ‘‘तथाकथित अतिक्रमणकारियों’’ को बेदखल करके राज्य की भूमि को पुनः प्राप्त करने के उद्देश्य से संचालित है। 

पार्टी ने कहा कि इन कवायदों का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ेगा, जो यहां सदियों से रह रहे हैं। पीडीपी ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि कश्मीर के संबंध में भाजपा के कमल की जगह बुलडोजर ने ले ली है, जो इंसानियत और जम्हूरियत से बहुत दूर है, जिसका कश्मीरियों से वादा किया गया था।’’ 

पीडीपी ने कहा, ‘‘इस तरह के कदम स्थानीय लोगों को बेदखल करके और उनकी जगह लेने के लिए बाहरी लोगों को प्रोत्साहित करके हमारी जनसांख्यिकी को बदलने के सरकार के इरादे के बारे में लोगों की आशंकाओं को और बढ़ाएंगे। यह कोई रहस्य नहीं है कि भारत सरकार की कश्मीर नीति फलस्तीन में इजराइल मॉडल का अनुकरण करती है।’’ 

पीडीपी ने हाल में समाप्त हुई कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर कहा कि कई वर्षों में पहली बार कश्मीरी नयी दिल्ली से आने वाली यात्रा को लेकर असहज नहीं थे। पीडीपी ने कहा, ‘‘राहुल गांधी की मौजूदगी पर हमारे लोगों से अभूतपूर्व प्रतिक्रिया मिली। अनुच्छेद निरस्त करने के बाद से, किसी भी विपक्षी नेता ने जम्मू कश्मीर तक पहुंचने की जहमत नहीं उठाई और लंबे समय के बाद कश्मीरियों ने भले ही छोटे पल के लिए, राहत महसूस की।’’ 

पार्टी ने कहा, ‘‘कश्मीर को कभी आशा की किरण के रूप में देखा जाता था, जब पूरा उपमहाद्वीप साम्प्रदायिक आग में झुलसा हुआ था। आज कश्मीर उम्मीद की उस किरण की तलाश कर रहा है।’

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