Khatu Shyam Mela 2023 : खाटू श्याम का लक्खी मेला शुरू, जानिए मेले की खास बातें

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Published By Himanshu Bhakuni
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जयपुर। खाटू श्याम का वार्षिक लक्खी मेला 22 फरवरी से 4 मार्च तक राजस्थान के सीकर जिले में चलेगा। इस मेले में अबकी बार करीब 40 लाख श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके लिए प्रशासनिक तौर पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा चुके हैं। श्रद्धालु यात्रियों को श्याम बाबा के दर्शन में कोई परेशानी न हो इसकी भी पूरी व्यवस्था की गई है। श्रद्धालुओं को श्याम बाबा के दरबार तक पहुंचने के लिए 12 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी होगी।

साथ ही अबकी बार श्याम बाबा के दर्शन के लिए जिग जैग लाइन को हटाकर 14 सीधी लाइन की व्यवस्था की गई है जिससे श्रद्धालु बाबा का सम्मुख दर्शन आसानी से कर पाएंगे। बाताया जा रहा है कि व्यवस्था कुछ इस तरह से की गई है कि श्रद्धालु 30 फीट की दूरी से भी बाबा के दर्शन कर पाएंगे और एक घंटे में 3 से 4 लाख श्रद्धालु श्याम बाबा के दर्शन कर पाएंगे।

अबकी बार लक्खी मेले में इस तरह से व्यवस्था की गई है कि मंदिर से 300 मीटर पहले ही श्रद्धालु श्याम बाबा के लिए प्रसाद, फूल, माला, निशान, नारियल और पूजा सामग्री ले सकेंगे। श्याम बाबा के लक्खी मेले को लेकर बड़ी मान्यता है। श्रद्धालु मानते हैं कि जो भी भक्त इस मेले में बाबा के दरबार में जो मनोकामना लेकर आता है बाबा उसे हारे का सहारा बनते हैं और उसे संकट से उबाड़ लेते हैं।

लक्खी मेले का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। ऐसी कथा है कि फाल्गुन मास की द्वादशी तिथि को ही भगवान श्रीकृष्ण के मांगने पर बर्बरीक ने अपना शीश काटकर उनके चरणों में रख दिया था। खाटू श्यामजी घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक हैं। जिन्हें पूर्वजन्म में ब्रह्माजी का शाम मिला था। उसी शाप के कारण इन्हें अपने शीश का दान देना पड़ा था। लेकिन इस शाप के भगवान श्रीकृष्ण ने वरदान में बदल दिया।

भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को वरदान दिया कि वह कलियुग में हारे हुए का सहारा बनेंगे और उनके ही नाम श्याम नाम से पूजित होंगे। बर्बरीक द्वार फाल्गुन मास की द्वादशी को शीश दान किए जाने के कारण ही फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि तक लक्खी मेला चलता है। इसे मेले में श्याम बाबा को गुलाल भी भेंट किया जाता है। क्योंकि यह मेला फाल्गुन मास में होली के करीब लगता है।

खाटू श्याम का जन्मदिन हर साल कार्तिक मास की एकादशी जिसे देवोत्थान एकादशी कहते हैं उस दिन मनाते हैं। इसके पीछे कहानी यह है कि सीकर में जहां पर खाटू श्याम का मंदिर है। वहां पर खाटू श्यामजी के शीश को इसी दिन मंदिर में स्थापित किया गया था। इसलिए हर साल कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि को खाटू श्याम के भक्त इनका जन्मदिन मनाते हैं।

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