हल्द्वानी: सपना आईएसबीटी का, हकीकत में सिर्फ दो बेंच का रेस्ट रूम
12 घंटे से अधिक सफर करने वाले चालक परिचालक को नहीं नसीब एक सुविधायुक्त रेस्ट रूम
रोज करीब 500 से अधिक ड्राइवर-कंडक्टर करते हैं सफर
हल्द्वानी, अमृत विचार। आईएसबीटी के सपने देखने वाले शहर के बस अड्डे में आज तक ड्राइवर-कंडक्टर के लिए रेस्ट रूम नहीं बन पाया है। दो सौ से ज्यादा बसों को चलाने वाले ड्राइवर कंडक्टर यहां रोज आते हैं।
लेकिन बैठने तक को जगह नहीं मिलती। सैकड़ों यात्रियों को लेकर 12-12 घंटे तक सफर करने वाले ड्राइवर, कंडक्टर को आराम करने के लिए बसों में पड़े रहना पड़ता है या स्टेशन के बाहर बेंचों पर समय बिताने को मजबूर होना पड़ता है।
स्टेशन में रेस्ट रूप के नाम पर शटर लगाया एक कमरा है जिसमें दो बेंच रखी हैं। बस अड्डे पर रोज करीब 500 से अधिक ड्राइवर-कंडक्टर बस लेकर पहुंचते हैं। पहाड़ से मैदान तक सफर करने वाले इन कर्मचारियों के हाथ में हजारों यात्रियों की जिंदगी है।
शहर के बस अड्डों में ड्राइवर-कंडक्टर के आराम को रेस्ट रूम होता है ताकि चालक परिचालक कुछ समय आराम कर यात्रियों को सुरक्षित उनके गंत्वय तक पहुंचाएं। पिथौरागढ़-दिल्ली रूट पर चलने वाले चालक वीरेन्द्र सिंह बताते हैं कि कई चालक, परिचालक 10-12 घंटे का सफर तय करते हैं। ऐसे में उनके लिए रेस्ट जरूरी है लेकिन स्टेशन में रेस्ट करने के लिए कोई सुविधा नहीं है। यूपी परिवहन की बस चलाने वाले ड्राइवर कहते हैं उन्हें कई बार बसों में पड़े रहना पड़ता है या स्टेशन के बाहर पड़ी बेंच पर आराम करते हैं।
रेस्ट नहीं मिलने से दुर्घटना का खतरा
रोडवेज में लंबी दूरी के चालकों को पूरी नींद मिलना जरूरी है। इसके लिए स्टेशन पर रेस्ट रूम बनाए जाते हैं। स्टेशन में बसों के शोरगुल के बीच बेंच पर आराम करना मुश्किल होता है। चालक जमन सिंह कहते हैं कि रेस्ट रूम में सर्दियों में बहुत ठंड होती और गर्मियों में गर्मी। इस कारण कभी रेस्ट नहीं कर पाते हैं।
