अयोध्या: ...लो आ गई मगफिरत की रात शबे-बारात ...घरों, मस्जिदों व कब्रिस्तान में होगी इबादत

अयोध्या: ...लो आ गई मगफिरत की रात शबे-बारात ...घरों, मस्जिदों व कब्रिस्तान में होगी इबादत

अयोध्या, अमृत विचार। कायनात का मालिक अल्लाह पहले आसमान पर जलवागार होकर पुकारेगा  कि है कोई जो मगफ़िरत तलब करें तो मै उसे बख्श दूं। क्योंकि आ गई मगफ़िरत की रात शब-ए-बरात। जहन्नुम से निजात की रात कहा जाने वाला इस्लामी कैलेंडर का आठवां महीना शाबान की रात रहमतों का महीना रमज़ान से पहले पड़ने वाला त्यौहार शब-ए-बरात मंगलवार को मनाया जाएगा। घरों मस्जिदों व कब्रिस्तानों में होने वाली इबादतों को देखते हुए इसकी तैयारियां शुरू हो गई।

मंगलवार को होने वाले इस त्यौहार की बड़ी फजीलत है। लोगों के मुताबिक शब-ए-बरात के मायने गुनाहों से निजात या रिहाई की रात कहा गया है। जिसकी तैयारी के लिए मुस्लिम समाज घरों मस्जिदों व कब्रिस्तान में साफ सफाई का कार्य पूरा हो गया है। मदरसा ख्वाजा गरीब नवाज के कारी इलियास मुसाहिदी ने बताया कि इस रात मुसलमान पूरी रात घरों मस्जिदों में जाग पूरा वक्त अल्लाह की इबादत में गुजारता है। 

क्योंकि इस रात पूरी कायनात का मालिक अल्लाह पहले आसमान पर जलवागार होकर अपने बंदों को पुकारता है कि कोई है जो मगफ़िरत मांगे तो मै उसे बख्श दूं। कोई है जो रिज्क मांगे तो मैं उसे रिज्क दूं। इस्लाम धर्म के इस महीने में अल्लाह लोगों के सभी मखलूक का हिसाब किताब लिख देता है। इसी रात लोग कब्रिस्तानों में अपने पुरखों व दोस्त एहबाब की कब्रों पर जाकर दुआएं मगफ़िरत पढ़ते है। उन्होंने बताया कि लोगों को पूरी रात अपने घरों व मस्जिदों में जागकर इबादत करनी चाहिए।

घरों में हलुआ बनाकर कराई जाती है नियाज
शब-ए-बरात की रात हलुआ बनाने का रिवाज काफी प्रचलित है।मुस्लिम समाज में लोग तरह तरह के हलुआ तैयार कर उस पर नियाज करवाते है। जिसमें सबसे ज्यादा चने का हलुआ ज्यादा पसंद किया जाता है। बाकि लोग रवे का, चावल के आटे का हलुआ समेत तमाम तरह के पकवान तैयार करते है। लोगों का मानना है कि अल्लाह के एक वली की शान में इस तरह का पकवान का रस्म अदा की जाती है।

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