रुद्रपुर: बोले कुलपति...किसानों की आय बढ़ायेगी दलहनी मटर की नई प्रजातियों से

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Published By Shweta Kalakoti
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जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने विकसित की नई प्रजाति की मटर

कहा - यह प्रजाति देश के किसानों के लिए होगी उपयोगी साबित

रुद्रपुर, अमृत विचार। वर्तमान में देश के विभिन्न हिस्सों में पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय की ओर से विकसित दलहनी मटर की उन्नतशील प्रजातियां किसानों के बीच लोकप्रिय है और सफलतापूर्वक उगायी जा रही है।

इससे किसानों की आय में लगातार वृद्धि होने के साथ-साथ देश में दलहनों की उपलब्धता भी बढ़ी है। इसी क्रम में दलहनी मटर की एक नयी प्रजाति पंत मटर 452 का विकास पंत कृषि विश्वविद्यालय ने विकसित की है। इसके लिए विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने सभी वैज्ञानिकों को बधाई  दी है।

जीबी पंत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. चौहान ने बताया कि वर्तमान में उगाई जाने वाली दलहनी मटर की प्रजातियां विभिन्न रोगों एवं कीटों से ग्रस्त हो रही है। इस कारण किसानों की उपज में काफी वृद्धि नहीं हो पा रही है। साथ ही कीट प्रबंधन के कारण उत्पादन की लागत बढ़ रही है।

इन सब कारणों को देखते हुए पंतनगर विश्वविद्यालय ने किसानों के लिये उपयुक्त दलहनी मटर की प्रजातियों के विकास पर विशेष बल दिया जा रहा है और दलहनी मटर की एक नयी प्रजाति पंत मटर 452 का विकास किया। इसके लिए उन्होंने वैज्ञानिकों डॉ. आरके पवार, डॉ. एसके वर्मा, डॉ. अन्जू अरोरा परियोजना समन्वयक डॉ. रमेश चन्द्रा को बधाई दी। साथ ही उम्मीद जताई की यह प्रजाति देश के किसानों के लिये उपयोगी साबित होगी।

उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय की विकसित दलहन की प्रजातियां विगत कई दशकों से दलहन उत्पादकों विशेषकर छोटे एवं सीमांत किसानों की पहली पसंद बनी हुई है। इसके अलावा पड़ोसी देशों जैसे नेपाल, भूटान एवं बांग्लादेश में भी यहां की दलहनी प्रजातियों को उगाया जाता है। डॉ. चौहान ने वैज्ञानिकों से इस नवीनतम प्रजाति के बीजों का पर्याप्त मात्रा में उत्पादन कर किसानों के मध्य व्यापक प्रचार-प्रसार करने पर बल दिया।
 

इस प्रजाति को मिली उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल में उगाने की संस्तुति

विश्वविद्यालय के कुलपति ने बताया कि इस प्रजाति को हाल ही में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर में सम्पन्न हुई प्रजाति पहचान समिति द्वारा देश के पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा, मिजोरम एवं उत्तरी उड़ीसा के मैदानी क्षेत्रों में उगाए जाने के लिए संस्तुत किया गया।

इस प्रजाति का विकास दो विभिन्न प्रजातियों एचएफपी 529 एवं पंत मटर 31 के संकरण द्वारा वंशावली विधि से किया गया। उन्होंने बताया कि आगामी सीजन में इस नई प्रजाति के बीजों को पर्याप्त मात्रा में उत्पादित कर किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा।