रामनगरः 21 देशों के प्रतिनिधियों ने नजदीक से जाना कार्बेट का प्रबंधन

रामनगरः 21 देशों के प्रतिनिधियों ने नजदीक से जाना कार्बेट का प्रबंधन

रामनगर, अमृत विचार। अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ के सदस्यों के साथ अनेक लोगों ने  कार्बेट टाइगर रिजर्व में वनों तथा वन्यजीवों के प्रबन्धन प्रणाली को न केवल नजदीक से जाना बल्कि सीटीआर के विभिन्न पर्यटन जोन में वन्यजीव संरक्षण के लिए होने वाले क्रिया कलापों की जानकारी भी हासिल की। दल ने ढेला रेंज तथा झिरना रेंज में फील्ड भ्रमण किया। ढेला रेंज के अन्तर्गत मानव वन्यजीव संघर्ष के न्यूनीकरण हेतु बी-हाईव फैन्सिंग क्षेत्र का भ्रमण किया गया। 

अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संघ के विवेक मेनन रोड्रिजूस के नेतृत्व में 21 देशों के विभिन्न प्रतिभागी कार्बेट टाइगर रिजर्व भ्रमण पर आये थे। ढेला क्षेत्र में निदेशक कार्बेट धीरज पांडे ने क्षेत्र में हाथी की बाहुल्यता अधिक होने से मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को बी-हाईव फैन्सिंग के निर्माण द्वारा काम किये गए कार्यो तथा बी-हाईव फैन्सिंग से होने वाले लाभ तथा रोजगार सृजन के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। 

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आईयूसीएन दल द्वारा पारिस्थितिकी विकास समिति ईडीसी महिलाओं द्वारा बनाये गये ऐपण, स्टोन पेन्टिंग, स्वयं निर्मित अगरबत्ती, धूप आदि के प्रर्दशनी में विशेष रूचि दिखाई गयी। कार्बेट टाइगर रिजर्व द्वारा गठित वॉलेंटरी विलेज प्रोटेक्शन फोर्स के कर्मिको से 21 देशों के विभिन्न प्रतिभागियों ने चर्चा की तथा जंगल में होने वाली विभिन्न गतिविधियों के बारे मे उनसे जानकारी प्राप्त की। 

निदेशक धीरज पांडे द्वारा झिरना रेंज अन्तर्गत लालढांग ग्रासलैण्ड में निर्मित वॉटर हॉल के पास टीम को भ्रमण कराया गया तथा यह अवगत कराया गया कि वन्यजीवों के लिए जल की उपलब्धता के लिए कार्बेट टाइगर रिजर्व द्वारा 140 वॉटर हॉल का निर्माण किया गया है, जिसमें 10 हजार लीटर से लेकर 2 लाख लीटर तक जल धारण की क्षमता है, जो वर्षभर जल से भरे रहते हैं। 

आइसीयूएन टीम द्वारा कार्बेट टाइगर रिजर्व के फ्रंट लाइन स्टाफ के बारे में भी जानकारी जुटाई गई। वन मंत्री सुबोध उनियाल द्वारा वन्यजीव विशेषकर, हाथी के संरक्षण तथा संवर्धन में कार्बेट टाइगर रिजर्व द्वारा किये जा रहे प्रयासों से अवगत कराया गया तथा वनों के संरक्षण से होने वाले लाभ तथा वन्यजीवों के संरक्षण से वनों के आस-पास रहने वाले ग्रामों / शहरों में कैसे जीविकोपार्जन की सम्भावना वृद्धि, के विषय में अवगत कराया गया।

उत्तराखंड के प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव/मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक समीर सिन्हा ने अवगत कराया गया कि उपरोक्त कार्यशाला तथा फील्ड भ्रमणों में चर्चा के परिणामों को फील्ड स्तर पर अमल लाये जाने की आवश्यकता है। जिससे वनों तथा वन्यजीव संरक्षण की दिशा में दीर्घकालीक परिणाम प्राप्त हो सकें। इस दौरान मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं पीके पात्रो, कार्बेट टाइगर रिजर्व के उप निदेशक दिगंथ नायक, प्रभागीय वनाधिकारी कुन्दन कुमार, प्रभागीय वनाधिकारी प्रकाश आर्या, तराई पश्चिमी वन प्रभाग नवीन पंत, भूमि संरक्षण वन प्रभाग नीरज शर्मा, प्रभागीय वनाधिकारी कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग चन्द्रशेखर जोशी, प्रभागीय वनाधिकारी नैनीताल वन प्रभाग अभिलाशा सिंह, प्रभागीय वनाधिकारी एफटीआई हल्द्वानी अमित कुमार ग्वासीकोटी, उप प्रभागीय वनाधिकारी बिजरानी संदीप गिरी, वन क्षेत्राधिकारी ढेला शालिनी जोशी, उप प्रभागीय वनाधिकारी कालागढ़ संजय पाण्डे, वन क्षेत्राधिकारी बिन्दरपाल, वन क्षेत्राधिकारी संचिता वर्मा, मौजूद रहीं।

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