काशीपुर: यहां से कभी डाकू भी ले जाते थे घोड़े खरीदकर, अब सेना, पुलिस और घोड़ों के शौकीन आते हैं खरीदारी करने 

काशीपुर: यहां से कभी डाकू भी ले जाते थे घोड़े खरीदकर, अब सेना, पुलिस और घोड़ों के शौकीन आते हैं खरीदारी करने 

काशीपुर, अमृत विचार। मां भगवती बाल सुंदरी के ऐतिहासिक चैती मेले में लगने वाला नखासा मेला उत्तरी भारत का प्रमुख मेला है। जानकारी के अनुसार करीब पांच सौ साल पूर्व से चैती मेले में नखासा बाजार लगता आ रहा है। उस समय सबसे बड़े खरीदार सेना, पुलिस अधिकारी, राजा और व्यापारी थे। जैसे-जैसे राजा रजवाड़ों का जमाना गुजरने लगा और कार, मोटरसाइकिलों का जमाना आया तो घोड़ों का यह कारोबार भी उतार पर आ गया है।

बताया जाता है कि चैती नखासा बाजार में पंजाब, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के व्यापारी घोड़े लेकर आते थे। अफगानिस्तान के व्यापारी भी घोड़ा लेकर आना का दावा किया जा रहा है। उस समय डाकू मंगल सिंह, सुल्ताना डाकू और मलखान सिंह, डाकू फूलन देवी यहां से घोड़े खरीद कर ले जाते थे।

डाकू मेले में घोड़े खरीदने सामान्य खरीदार के वेश में आते थे और किसी को भी परेशान नहीं करते थे। फूलन देवी के बारे में तब पता चला था जब उसने मंदिर में देवी दर्शन किए और घोड़े खरीद कर चली गई थी। मुख्य पंडा विकास अग्निहोत्री बताते हैं कि मेले के साथ-साथ काशीपुर का चैती नखासा मेला भी भारत में प्रसिद्ध है।

एक समय दूर-दूर से यहां लोग मां के दर्शन करने और घोड़ा खरीदने के लिए आते थे। सुल्ताना डाकू का भी यहां काफी आना-जाना रहा है। बिजनौर निवासी सुल्ताना डाकू पंडा श्याम सुंदर के चेले थे। वह मां के दर्शन करने और घोड़ा खरीदने के लिए यहां आया करता था। ऐसा इसलिए भी था क्योंकि मां भगवती बाल सुंदरी उसकी कुल देवी थीं और वह हर साल यहां प्रसाद चढ़ाने के लिए आया करता था।   


संस्था करती घोड़ा का निशुल्क इलाज
काशीपुर। नखासा बाजार में ब्रुक इंडिया संस्था के सदस्य घोड़ों के निशुल्क इलाज के लिए पहुंचे हैं। संस्था के आर्मी से सेवानिवृत्त धनजंय सिंह ने बताया कि मारवाड़ी, काठियावाड़ी, जौनसारी, भूटिया नस्ल के घोड़े होते हैं। घोड़ा मालिकों ने बताया कि बाजार में अभी तक स्थानीय कामकाजी करीब 60 घोड़े पहुंचे हैं। जिनकी करीब पचास हजार से लेकर ढाई लाख रुपये बताई जा रही है।

पांच लाख तक का बिक चुका है घोड़ा
काशीपुर। चैती मेले में लगने वाले नखासा मेले को लेकर घोड़ों के शौकीन उत्साहित हैं। इस मेले की खास बात यह है कि यहां देश की सबसे अच्छी प्रजाति के घोड़े मिलते हैं एक समय तो यहां के घोड़े इतने प्रसिद्ध थे कि देशभर के दुर्दांत अपराधी भी इनके कायल थे। डाकू यहां से घोड़े खरीद कर ले जाया करते थे। यहां पांच लाख रुपये कीमत तक के घोड़े बेचने के लिए लाए जा चुके हैं। यहां से ऐसे-ऐसे घोड़े बिक चुके हैं, जो 40 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकते हैं। पांच फीट से ज्यादा ऊंचाई के घोड़े यहां बेचे जा चुके हैं। आमतौर पर यहां के मेले में 50 से 60 हजार रुपये तक कीमत के घोड़े बेचे जाते हैं।