Vaishakh Amavasya 2023: साल का पहला सूर्य ग्रहण, बन रहा ये शुभ योग, जानें महत्व, विधि और मुहूर्त

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Published By Vishal Singh
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Vaishakh Amavasya 2023: वैशाख अमावस्या की तिथि धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है। वैशाख अमावस्या पर धर्म-कर्म, पितरों का तर्पण, स्नान व दान आदि का विशेष महत्व बताया गया है। इस साल वैशाख अमावस्या 20 अप्रैल दिन गुरुवार को है। इस दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण भी लग रहा है। साथ ही इस अमावस्या को सतुवाई अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। तो  आइए जानते हैं वैशाख अमावस्या का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त...

महत्व
वैशाख अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान, दान, जप-तप, पिंडदान, पितरों को तर्पण आदि धार्मिक कार्यों के लिए बहुत शुभ माना गया है। इस दिन राहगीरों को पानी पिलाएं और पशु पंक्षियों के लिए भी पानी की व्यवस्था करें। साथ ही इस शुभ दिन पर सत्तू खाने और दान करने का भी महत्व है। वैशाख अमावस्या पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए व्रत अवश्य करना चाहिए। साथ ही इस दिन पितरों के नाम का श्राद्ध और तर्पण करने वालों को आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता और पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती है। वैशाख अमावस्या पर आप कालसर्प दोष को दूर करने के लिए भी बेहद उत्तम माना गया है। लेकिन ध्यान रहे कि इस शुभ दिन पर तामसिक चीजों का सेवन करने से दूर रहें।

सूर्य ग्रहण 
वैशाख अमावस्या पर साल का पहला सूर्य ग्रहण भी लग रहा है, जिससे इस दिन का महत्व भी बढ़ गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण काल में किया गया जप-तप, दान आदि धार्मिक कार्यों का फल अतिशीध्र मिलता है। सूर्य ग्रहण का समय सुबह 7 बजकर 4 मिनट से दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक है। हालांकि इस ग्रहण काल का सूतक मान्य नहीं होगा क्योंकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा।

शुभ योग 
वैशाख अमावस्या पर सूर्य ग्रहण के साथ कई शुभ योग भी बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व भी बढ़ गया है। इस शुभ तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग, प्रीति योग जैसे शुभ योग बन रहे हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6 बजकर 18 मिनट से रात्रि 11 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। वहीं प्रीति योग दोपहर 1 बजकर 1 मिनट से मध्य रात्रि तक रहने वाला है। इस शुभ योग में पवित्र नदियों में स्नान, दान, जप तप आदि करने से विशेष शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

पूजा शुभ मुहूर्त 

  • वैशाख अमावस्या 20 अप्रैल 2023 दिन गुरुवार
  • वैशाख अमावस्या का प्रारंभ - 19 अप्रैल, सुबह 11 बजकर 23 मिनट पर
  • वैशाख अमावस्या का समापन - 20 अप्रैल, सुबह 9 बजकर 41 मिनट तक।
  • अमावस्या स्नान व दान का मुहूर्त - 20 अप्रैल, सुबह 4 बजकर 23 मिनट से दोपहर 11 बजकर 20 मिनट तक
  • उदयातिथि के आधार पर वैशाख अमावस्या 20 अप्रैल को मनाई जाएगी और इस दिन ही पवित्र नदियों में स्नान व दान किया जाएगा।

पूजा विधि
वैशाख अमावस्या पर पवित्र नदियां, जलाशय, कुंड आदि पवित्र स्थलों पर स्नान करना चाहिए और सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद बहते जल में तिल प्रवाहित करें। वैशाख अमावस्या पर पितरों के नाम का तर्पण और श्राद्ध भी करना चाहिए। साथ ही इस दिन उपवास भी रखें और ब्राह्मणों को भोज कराएं। ग्रहण काल में पितरों के नाम का दान भी करें। वैशाख अमावस्या पर शनि जयंती भी मनाई जा रही है इसलिए शनिदेव की पूजा करें और एक लोहे की कटोरी में तेल और एक सिक्का डालें और उसमें अपना चेहरा देखें। इसके बाद कटोरी समेत सभी चीजें डकोत को भी दे दें। वैशाख अमावस्या पर पीपल के पेड़ और हनुमानजी की भी की पूजा करें। वैशाख अमावस्या पर शनि चालीसा, हनुमान चालीसा, विष्णु सहस्त्रनाम आदि का पाठ करें और मंत्रों का जप करें

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