प्रौद्योगिकी क्षेत्र में छंटनी का शिक्षा ऋणों की अदायगी पर असर नहीं: रिपोर्ट
मुंबई। प्रौद्योगिकी कंपनियों में बड़े पैमाने पर हुई छंटनी के बावजूद भारतीय गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की तरफ से बांटे गए शिक्षा ऋण की अदायगी पर कोई असर नहीं पड़ा है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने एक रिपोर्ट में यह दावा किया है। क्रिसिल ने बृहस्पतिवार को जारी रिपोर्ट में कहा कि शिक्षा क्षेत्र को एनबीएफसी से दिए गए कर्जों के फंसने का प्रतिशत 0.5 प्रतिशत से भी कम रहा है।
इन कर्जों में 90 प्रतिशत से भी अधिक हिस्सेदारी विदेशी शिक्षा के लिए आवंटित ऋण की है। क्रिसिल के वरिष्ठ निदेशक अजीत वलोनी ने कहा कि एनबीएफसी के शिक्षा कर्जों के गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) बनने का प्रतिशत बहुत कम रहने की कुछ संरचनात्मक वजहें भी हैं। छात्र के साथ उसके माता-पिता के सह-कर्जदार होने से भी इन कर्जों को एक सुरक्षा कवर मिलता है। वलोनी ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनियों में छंटनी के बावजूद शिक्षा ऋणों की अदायगी दक्षता स्थिर बनी रही है।
एनबीएफसी के कुल शिक्षा ऋण में से आधा अमेरिका में उच्च शिक्षा के लिए दिया गया है। पिछले वित्त वर्ष में मंदी की आहट और प्रतिकूल बाजार परिस्थितियों के बीच अमेजन, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनियों ने भी हजारों कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया है।
इन बड़ी कंपनियों को रोजगार के लिहाज से काफी हद तक स्थिर प्रकृति का माना जाता है लेकिन प्रौद्योगिकी की पढ़ाई कर इनसे जुड़े युवाओं को बड़े पैमाने पर बेरोजगार होना पड़ा था। क्रिसिल के मुताबिक विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग एवं गणित पाठ्यक्रमों पर भारतीय छात्रों का जोर रहने और कर्ज अदायगी के सुगठित प्रावधानों ने कर्जों की गुणवत्ता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई है। हालांकि, आने वाले समय में छंटनी के साथ उच्च मुद्रास्फीति और ब्याज दरों में वृद्धि जैसे बिंदुओं के प्रभाव पर नजर रखनी होगी।
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