रामगढ़ में उल्का पिंड की टक्कर से बना गड्ढा भू पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित होगा : अधिकारी 

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Published By Ashpreet
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जयपुर। राजस्थान सरकार बारां जिले के रामगढ़ में लगभग 60 करोड़ साल पहले संभवत: अंतरिक्ष से किसी उल्का पिंड के गिरने से बने गड्ढे (क्रेटर) को भू पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि यह देश का तीसरा और राज्य का पहला ऐसा क्रेटर है। बाकी दो क्रेटर में से एक महाराष्ट्र और एक मध्य प्रदेश में है।

अधिकारियों के मुताबिक, योजना के लागू होने के बाद राजस्थान पर्यटन विभाग को हर साल 30,000 से 40,000 पर्यटकों के रामगढ़ क्रेटर के दीदार के लिए बारां आने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि रामगढ़ क्रेटर को 57.22 करोड़ रुपये की लागत से पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा, जिसमें गड्ढे में बनी झील के सौंदर्यीकरण से लेकर आसपास जरूरी बुनियादी ढांचे का विकास शामिल है।

अधिकारियों के अनुसार, पर्यटन विभाग वहां उच्च गुणवत्ता वाली सड़क, सूचना केंद्र, ज्ञान केंद्र और कैफेटेरिया का निर्माण कर रहा है। उन्होंने बताया कि क्रेटर के आसपास बगीचों और हरित क्षेत्र के विकास, घाट के निर्माण और ड्रिप सिंचाई की व्यवस्था करने का भी प्रस्ताव किया गया है। पर्यटन विभाग की निदेशक रश्मि शर्मा ने कहा, विभाग भू पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। रामगढ़ क्रेटर आने वाले दिनों में देश के एक पसंदीदा पर्यटन स्थल के रूप में उभरेगा। यह स्थल भूविज्ञान, पुरातत्व और इतिहास के बीच सामंजस्य के प्रतीक के रूप में अपनी पहचान कायम करेगा।

उन्होंने बताया कि वन विभाग द्वारा रामगढ़ क्षेत्र को भी आरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है। अधिकारियों के मुताबिक, इस क्षेत्र के विकास के लिए पर्यटन, वन विभाग और लोक निर्माण विभाग कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। द सोसाइटी ऑफ अर्थ साइंटिस्ट्स के महासचिव सतीश त्रिपाठी ने बताया कि बारां जिले की मांगरोल तहसील से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रामगढ़ क्रेटर को 1869 में खोजा गया था।

माना जाता है कि 3.5 किलोमीटर व्यास वाले इस गड्डे का निर्माण 60 करोड़ साल पहले अंतरिक्ष से एक उल्कापिंड के गिरने के बाद हुआ था। रामगढ़ क्रेटर को वर्ल्ड जियो हेरिटेज के 200वें क्रेटर के रूप में मान्यता दी गई है। त्रिपाठी ने बताया कि एक उल्कापिंड के यहां गिरने के तथ्य की वैज्ञानिक पुष्टि हो चुकी है। उन्होंने कहा कि रामगढ़ क्रेटर में सामान्य से अधिक मात्रा में लोहा, निकल और कोबाल्ट पाया गया है। कई क्षुद्रग्रहों में भी ये तत्व उच्च मात्रा में होते हैं।

उप निदेशक पर्यटन दलीप सिंह राठौड़ ने बताया कि खजुराहो शैली का 10वीं शताब्दी का शिव मंदिर रामगढ़ क्रेटर की परिधि में स्थित है और इसे मिनी खजुराहो के नाम से जाना जाता है। उन्होंने कहा कि इस संरचना के अंदर दो झीलें स्थित हैं, जो कई प्रवासी पक्षियों का प्राकृतिक आवास हैं। राठौड़ ने बताया कि चीतल हिरण और जंगली सूअर सहित कई वन्यजीव भी यहां पाए जाते हैं और इस क्षेत्र में एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल के रूप में उभरने के सभी आवश्यक तत्व मौजूद हैं।

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