पैर तुलना में शरीर के ऊपरी हिस्से में कुत्ता काटे तो जल्दी होता है रेबीज का असर, हो जाएं सतर्क

खाना न मिलने पर कुत्ते हो जाते हैं हिंसक, निर्जन या बस्ती से दूर खाने की सामग्री डालें

पैर तुलना में शरीर के ऊपरी हिस्से में कुत्ता काटे तो जल्दी होता है रेबीज का असर, हो जाएं सतर्क

बरेली, अमृत विचार। मोहल्लों में कुत्तों के आक्रामक बनने के पीछे वहां की स्थितियां ही जिम्मेदार हैं। मोहल्लों में पशु प्रेमी कुत्तों को घर के सामने ही खाने की सामग्री डाल देते हैं। उनकी आदत उसी क्षेत्र में खाने की हो जाती है और जब उन्हें खाने को नहीं मिलता तो वे हिंसक हो जाते हैं। जहां कूड़ा ज्यादा एकत्र होता है, वहां कुत्तों को खाने की सामग्री मिल जाती है। इसीलिए कूड़े के आसपास वाले क्षेत्र में कुत्ते ज्यादा होते हैं।

पैर की जगह यदि कुत्ता ऊपरी हिस्से यानी सिर के आसपास काटता है तो तेजी से रेबीज का असर होता है। ऐसी स्थिति में तुरंत डाक्टर के पास जाकर टीकाकरण कराएं। ये बातें मंगलवार को कुत्तों की बढ़ती संख्या और मानवों के साथ बढ़ते संघर्ष को कम करने के लिए नगर निगम की ओर से गांधी उद्यान में हुई डॉग मेंटर्स स्टेक होल्डर्स कंसलटेंशन गोष्ठी में आईवीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने कहीं।

आईवीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक अभिजीत पावड़े ने बढ़ते श्वान मानव संघर्ष के वैज्ञानिक कारणों पर प्रकाश डाला। बताया कि कुत्ते को खाना खिलाना है तो सार्वजनिक स्थान के बजाए निर्जन स्थान पर डालें। रोटरी क्लब के डाॅ. डीसी शुक्ला ने भी विचार रखे। पशु चिकित्साधिकारी डाॅ. राजीव सिंह ने कुत्ते से मानव में होने वाली बीमारियों के बारे में जानकारी दी।

नगर निगम के पशु कल्याण अधिकारी डा. आदित्य तिवारी ने बताया कि नगर निगम की ओर से बधियाकरण अभियान जारी है। उन्होंने शहर के पशु पालकों से नगर निगम में श्वान का पंजीकरण कराने की बात कही।अपर नगर आयुक्त सुनील कुमार यादव, अपर नगर आयुक्त द्वितीय अजीत कुमार सिंह, डाॅ. दिनेश सक्सेना आदि मौजूद रहे।

यह भी पढ़ें- MJPRU: परास्नातक की परीक्षाएं भी शुरू, स्नातक में दो नकलची पकड़े