प्रयागराज : हत्या के मामले में समझौते के आधार पर रद्द नहीं की जा सकती कार्यवाही

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Published By Pradumn Upadhyay
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अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि पीड़ित और अभियुक्त के बीच हुए समझौते के आधार पर हत्या के प्रयास के मामले को रद्द नहीं किया जा सकता है, क्योंकि ऐसा करना समाज के खिलाफ होगा।

उक्त आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की एकलपीठ ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, चित्रकूट की अदालत में आईपीसी की धारा 307 के तहत लंबित सत्र परीक्षण की पूरी कार्यवाही को रद्द करने की मांग लेकर सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दाखिल आरोपी मुजीम की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया ।

मामले के अनुसार दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया था। इस आशय का एक आवेदन ट्रायल कोर्ट के समक्ष दाखिल भी किया जा चुका है, लेकिन कोर्ट ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि मेडिको- लीगल रिपोर्ट के अनुसार गोली गर्दन पर लगी थी, जो शरीर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सौभाग्य से शिकायतकर्ता घातक हमले से बच गया, लेकिन यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि आरोपी द्वारा ऐसा कृत्य मजाक में नहीं किया गया।

अतः भले ही शिकायतकर्ता मुकदमे के मामले में अभियोजन पक्ष के समर्थन में गवाही न दे, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित सिद्धांत के आधार पर ऐसे मामलों में कार्यवाही रद्द नहीं की जा सकती है। अंत में इसी आधार पर कोर्ट ने आरोपी का आवेदन खारिज कर दिया।

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