पीलीभीत: भूलेख पोर्टल से खतौनियां गायब, फिर भी बेरोकटोक हो रहे दाखिल खारिज..जानिए मामला

पीलीभीत: भूलेख पोर्टल से खतौनियां गायब, फिर भी बेरोकटोक हो रहे दाखिल खारिज..जानिए मामला

सौरभ सिंह, पीलीभीत, अमृत विचार। राजस्व विभाग में गड़बड़ी रोकने के लिए  भू- लेख पोर्टल की शुरुआत की गई थी। मगर बीसलपुर नगरीय  इलाके की खतौनियां भूलेख पोर्टल से ही गायब हैं। कई वर्षों से गायब खतौनियों को पोर्टल पर दर्ज कराने के लिए राजस्व अधिकारियों द्वारा पत्राचार तो बहुत किया गया लेकिन अभी तक इस पर कोई समाधान नहीं हो सका है। भूलेख पोर्टल पर राजस्व ग्राम कस्बा पट्टी नगर क्षेत्र गायब कराने में पूर्व में तैनात रहे राजस्व अधिकारियों व कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध है। फिलहाल पोर्टल पर खतौनियां ऑनलाइन न होने से वरासत दर्ज करने के साथ ही भूमि के स्वामित्व, बैनामा, सरकारी-गैर सरकारी भूमि आदि राजस्व कार्यों के  निर्धारण में दिक्कत आ रही हैं।

शासन द्वारा वर्ष 2005 से भूलेख पोर्टल पर  भी सभी राजस्व ग्रामों में अवस्थित गाटा संख्या के स्वामित्व की स्थिति व श्रेणी को ऑनलाइन दर्ज कराया गया। कुछ वर्षों बाद अवैध लाभ दिलाने के उद्देश्य से बीसलपुर कस्बा पट्टी नगर क्षेत्र की खतौनियां पोर्टल से गायब करा दी गईं। इससे नगर क्षेत्र की बेशकीमती जमीनों के स्वामित्व का निर्धारण करना मुश्किल बढ़ने लगी है। लगातार  बढ़ती आबादी के साथ नगर क्षेत्र में बसाव फैलने लगा व नई कालोनियां बनने लगीं। करीब 10 वर्षों से राजस्व क्षेत्र बीसलपुर नगर क्षेत्र व उसकी खतौनियां भूलेख पोर्टल से गायब हैं। 

लेकिन भूलेख पोर्टल पर खतौनी ओका अभिलेख ना होने के बावजूद भी नगर में तेजी से जमीनों की खरीद-फरोख्त हो रही है। इसके पीछे सिर्फ तहसील प्रशासन के स्टाफ की मिलीभगत बताई जा रही है। पोर्टल से डेटा गायब होने के बाद पूर्व में अफसरों ने इसे लेकर राजस्व  परिषद को भी पत्र भेजे। उसके बाद उम्मीद जताई गई थी कि जल्द इसका निस्तारण हो सकेगा। अफसोस अभी तक कोई कारवाई आगे नहीं बढ़ सकी। ऐसे में एक सवाल और उठ रहा है कि भूलेख पोर्टल से नगर क्षेत्र का पूरा डाटा गायब होने के बावजूद क्षेत्र में भूमियों पर दाखिल खारिज व बैनामे किस तरह हो रहे हैं। इसे लेकर भी तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं। बिना आनलाइन खतौनी निकाले भूमि नाम परिवर्तन  की प्रक्रिया संभव नहीं है, ऐसे में मामला सामने आने के बाद से तहसील प्रशासन भी चक्कर में पड़ गया है।

1421 फसली वर्ष तक के अभिलेख मौजूद
राजस्व अभिलेखों में वर्तमान समय में 1430 फसली वर्ष चल रहा है। नगर क्षेत्र की खतौनी छठ वार्षिक होती है। जिला मुख्यालय स्थित अभिलेखाकार में फसली वर्ष 1416 से 1421 तक की खतौनी हार्ड कापी में उपलब्ध हैं लेकिन पोर्टल पर इन्हें अपडेट नहीं कराया गया है। फसली वर्ष 1421 के बाद से अब फसली वर्ष 1430 तक कोई खतौनी बनाई ही नहीं गई। नौ वर्षों से पूरा राजस्व क्षेत्र बिना खतौनी के संचालित हो रहा है। मामले में तत्कालीन लेखपालों, राजस्व निरीक्षकों व अधिकारियों की अवैध कब्जेदारों से मिलीभगत सामने आ सकती है।

एसडीएम की रिपोर्ट पर एडीएम ने परिषद भेजा पत्र
बीसलपुर तहसील में बीते वर्षों में तैनात रहे कुछ राजस्व अधिकारियों ने प्रकरण का संज्ञान लेकर जिला मुख्यालय पर बैठे अधिकारियों को अवगत कराया। पूर्व में तैनात रहे तहसीलदार जनार्दन, देवेंद्र सिंह, संजय यादव आदि ने पत्राचार किया। पूर्व एडीएम (न्यायिक) सूरज यादव ने राजस्व परिषद पत्र भेजकर सुनवाई करने की मांग की और  मार्गदर्शन मांगा। इसके बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। हाल ही में तैनात एसडीएम आशुतोष गुप्ता ने एक राजस्व कर्मी को राजस्व परिषद भेजकर मामले में प्रगति जानी। इस पर राजस्व परिषद के अधिकारियों ने एनआइसी में डाटा  खंगालने व उसे  डीएम की ओर से  भिजवाने के आदेश दिए हैं।

नगर क्षेत्र की खतौनियां भूलेख पोर्टल से गायब है। यह मामला संज्ञान में है। इस प्रकरण के बारे में गहनता से जानकारी जुटाई जाएगी। पता लगा है कि पूर्व में इस मामले में पत्राचार राजस्व परिषद हो हो चुके है। संबंधित पत्राचार को भी दिखवाएंगे। उसका अवलोकन करने के बाद उसी आधार पर आगे की कार्रवाई कराई जाएगी।- संदीप यादव, एसडीएम बीसलपुर

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