बस्ती : आशा कार्यकर्ता अंगूरा देवी पिछले साल पांच पुरुष नसबंदी करवा कर बनीं मिसाल

बस्ती : आशा कार्यकर्ता अंगूरा देवी पिछले साल पांच पुरुष नसबंदी करवा कर बनीं मिसाल

अमृत विचार, बस्ती । सीएचसी भानपुर के अधीन बांकेचोर गांव की आशा कार्यकर्ता अंगूरा देवी पिछले वर्ष में पांच पुरुष नसबंदी करा कर मिसाल बन चुकी है। इससे पहले भी सर्वाधिक पुरूष नसबंदी करा कर वह रिकॉर्ड बना चुकी हैं। नसबंदी के लिए घर-घर जाकर वह ग्रामीणों को सेहतमंद व खुशहाल परिवार के फायदे बता रही हैं।

अंगूरा देवी ने बताया कि एक समय था कि जब पुरूष नसबंदी के बारे में समुदाय में चर्चा करना भी मुश्किल था। पुरुष नसबंदी के प्रति एक धारणा लोगों में बन गई थी कि इसके बाद शरीर की ताकत कम हो जाती है। वैवाहिक जीवन पर इसका प्रतिकूल असर पड़ता है। मेहनत मजदूरी लायक व्यक्ति नहीं रह जाता है। इस मिथक को तोड़ने के लिए उन्होंने सबसे पहले अपने पति की ही नसबंदी छह साल पहले कराई। इसके बाद लोगों को जाकर बताना शुरू किया कि उनका जीवन खुशहाल है। पति भी पूरी तरह तंदरूस्त है। धीरे-धीरे लोगों को समझाने में कामयाबी मिलने लगी।

अब कई पुरुष व महिला उनसे मिलते हैं और नसबंदी के बारे में चर्चा करते हैं। उन्हें जब बताते हैं कि महिला की अपेक्षा पुरुष नसबंदी काफी सुरक्षित है तो वह इसके लिए तैयार हो जाते हैं। इसी तरह वर्ष 2022-23 में पांच पुरूष नसबंदी कराई गई। नसबंदी सर्जन एसआईसी जिला अस्पताल डॉ. एके वर्मा का कहना है कि पुरुष नसबंदी लगभग शत-प्रतिशत सफल होती है। बिना चीरा व बिना टांका के नसबंदी की जाती है। यह बहुत ही सरल और सुरक्षित होती है।

एसीमएओ आरसीएच डॉ. एके मिश्रा ने बताया कि वर्ष 2022-23 में जिले को 18 पुरुष नसबंदी का ईएलए मिला था, जिसके सापेक्ष 19 नसबंदी कराई गई। लॉजिस्टिक सपोर्ट मैनेजर प्रदीप कुमार सिंह ने बताया कि नसबंदी करवाने वाले पुरुष लाभार्थी को तीन हजार रुपए व आशा कार्यकर्ता को 400 रुपए प्रोत्साहन राशि के रूप में दी जाती है।

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