सुबह उठकर सूर्य देव को जल करते हैं अर्पित तो इन बातों का विशेष रखें ध्यान, नोट कर लें सही नियम
Surya Arghya Niyam: सूर्य भगवान की पूजा-अर्चना के बारे में हिंदू धर्म में खास महत्व दिया गया है। इस पूरी सृष्टि में प्रकाश और ऊर्जा का स्रोत सूर्य देव को ही माना जाता है। आमतौर पर ज्यादातर लोग सुबह उठकर सूर्यदेव को जल चढ़ाते हैं।
मान्यताओं के अनुसार सूर्य को जल का अर्घ देने से सभी तरह के कष्ट भी दूर हो जाते हैं। साथ ही कभी भी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है। वहीं कहा जाता है कि यदि कुंडली में सूर्य की स्थिति ठीक नहीं है या हर रोज कई परेशानी होती हैं। ऐसे में रोजाना सुबह सूर्य देव को जल देना चाहिए। क्योंकि सूर्य को जल चढ़ाने से बहुत सारे लाभ होते हैं। हर रोज सूर्य देव को जल चढ़ाने का शास्त्रों में भी खास महत्व बताया गया है। तो आईए जानते हैं सूर्य देव को जल देते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
जल चढ़ाने का सही तरीका
वास्तु के अनुसार सूर्य भगवान को जल चढ़ाने के लिए हमेशा तांबे के लोटे का ही इस्तेमाल होता है। जल हमेशा सूर्योदय के दौरान ही चढ़ाएं। क्योंकि इस समय जल अर्पित करना काफी शुभ फलदायक होता है। सूर्य को जल देते समय अपना मुख पूर्व दिशा की ओर रखना चाहिए।
सूर्य देव को जल चढ़ाने से पहले लोटे में अक्षत, रोली, फूल इत्यादि डाल दें। इसके बाद सूर्य देव को जल चढ़ाएं। सूर्य देव को जल चढ़ाने के बाद जो जल जमीन पर गिरता है उसे लेकर अपने मस्तक पर लगा लें। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से सूर्य देव आपकी सारी मनोकामना पूरी करते हैं। अगर आपका सूर्य कमजोर है तो नियमित रूप से सूर्य भगवान को जल अर्पित करें। ऐसा करने से काफी लाभ मिलेगा।
सूर्य देव के इन मंत्रों का करें जाप
- ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा
- ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:
- ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
- ॐ सूर्याय नम:
- ॐ घृणि सूर्याय नम:
- ॐ भास्कराय नमः
- ॐ अर्काय नमः
- ॐ सवित्रे नमः
(नोट- यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। अमृत विचार इसकी कोई पुष्टि नहीं करता है।)
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