बरेली: सीए की परीक्षा में होनहारों ने सफलता अर्जित कर बढ़ाया मान
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बरेली, अमृत विचार : द इंस्टीट्यूट आफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स आफ इंडिया (आईसीएआई) ने बुधवार को सीए फाइनल और इंटरमीडिएट परीक्षा के परिणाम जारी कर दिए। परीक्षा में जिले से भी बड़ी संख्या में छात्रों ने सफलता प्राप्त की है। सफल छात्रों के घरों में खुशी का माहौल है। यह परीक्षा इसी वर्ष मई में हुई थी।
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तीसरे प्रयास में मिली सफलता: हर्षित परीक्षा में 400 में से 221 अंक अर्जित कर कालीबाड़ी निवासी हर्षित माहेश्वरी ने माता-पिता का नाम रोशन किया है। बताया कि सीए की तैयारी इंटर में प्रवेश लेने के साथ ही शुरू कर दी थी। बीकॉम की पढ़ाई भी पूरी की। उनकी इस उपलब्धि पर पिता आर्येंद्र कुमार और मां सीमा माहेश्वरी और पूरा परिवार खुश है। हर्षित ने बताया कि वह परीक्षा में दो बार बैठ चुके हैं, मगर तीसरी बार में सफलता मिली। वह निरंतर तैयारी में जुटे रहे।
स्पर्श ने सीए बहन और जीजा की प्रेरणा से पाई सफलता: शहामतगंज निवासी स्पर्श अग्रवाल ने दोनों ग्रुप की परीक्षा में कुल 800 में से 428 अंक हासिल कर सफलता हासिल की है। उनके परिवार में उत्सव जैसा माहौल है। स्पर्श ने बताया कि इससे पहले सीए इंटरमीडिएट की परीक्षा में 564 अंक प्राप्त किए थे।
हालांकि, इस बार सीए के लिए दूसरी बार के प्रयास में सफलता प्राप्त की है। उन्होंने सीए बहन निष्ठा अग्रवाल और सीए जीजा सार्थक अग्रवाल को सफलता का श्रेय दिया है। एक निजी कॉलेज के निदेशक पिता मनोज कुमार अग्रवाल और मां नीति अग्रवाल बेटे की सफलता से गदगद हैं।
पहले प्रयास में ही पिता के सपने को किया साकार: सीए की परीक्षा में पहली बार में ही 247 अंकों के साथ अमन गाेयल ने सफलता प्राप्त की है। उनकी इस कामयाबी से व्यवसायी पिता विजय कुमार गोयल और मधु गोयल उत्साहित हैं।
अमन इस क्षेत्र में और पढ़ाई करना चाहते हैं। उनका कहना है कि परीक्षा की तैयारी के दौरान रटने के बजाय कांसेप्ट को समझने की कोशिश की। रोजाना 6 - 8 घंटे पढ़ाई की। माता- पिता निरंतर आगे बढ़ते के लिए प्रेरित करते रहे। पहले प्रयास में पिता का सपना साकार कर दिया।
बेटे का रिजल्ट सुनकर पिता के छलके खुशी के आंसू: शहामतगंज निवासी दिव्यांश ने सीए की परीक्षा में 227 अंक हासिल किए हैं। बेटे के रिजल्ट की जानकारी होने पर व्यवसायी रविकांत बूबना और मां प्रेमलता की आंखों से खुशी के आंसू छलक गए। दिव्यांश ने बताया कि तैयारी के दौरान परीक्षा को लेकर काफी दबाव रहा। माता-पिता के साथ चारों बहनें मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती रहीं। इससे उन्हें सफलता मिली।
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