लखनऊ : आज भी खतरनाक है रेबीज, जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ

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Published By Pradumn Upadhyay
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अमृत विचार, लखनऊ । यदि किसी को कुत्ता काटता है तो उस शख्स को वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए। इस दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि वैक्सीन आधी अधूरी न लगवाई जाए बल्कि उसका पूरा कोर्स करना चाहिए। क्योंकि वैक्सीन ही रेबीज से बचा सकती है। रेबीज का कोई भी इलाज उपलब्ध नहीं है, भारत में हर साल कुत्ता काटने और उससे फैले रेबीज की वजह से करीब 20 हजार लोग मौत के शिकार हो जाते हैं।

यह जानकारी डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान स्थित कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के डॉ मनीष कुमार सिंह ने दी। वह शुक्रवार को एसोसिएशन एंड कंट्रोल ऑफ़ रेबीज इन इंडिया (APCRI) के 23 वें नेशनल कॉन्फ्रेंस से ठीक 1 दिन पहले आयोजित हुई प्री कान्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। यह प्री कांफ्रेंस डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के एकेडमिक ब्लॉक में आयोजित की गई थी। डॉ मनीष कुमार सिंह एसोसिएशन प्रीवेंशन एंड कंट्रोल आफ रेबीज इन इंडिया के 23वें नेशनल कांफ्रेंस के आयोजन सचिव भी हैं।

डॉ मनीष कुमार सिंह ने बताया कि कुत्ता या फिर किसी अन्य जानवर के द्वारा काटे जाने पर तत्काल चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। चिकित्सक के निर्देशानुसार इलाज करना चाहिए। नहीं तो एक बार रेबीज का शिकार होने पर फिर इलाज संभव नहीं है।

उन्होंने बताया कि रेबीज एक जानलेवा वायरस है, जो संक्रमित पशुओं जिसमें कुत्ता बिल्ली बंदर या कोई भी जानवर हो सकता है। उसके लार से मनुष्य में फैलता है। इस वायरस जागरूक रहकर ही बचाव संभव है। वैक्सीनेशन इसका एकमात्र बचाव है। डॉ मनीष ने बताया है कि एसोसिएशन प्रीवेंशन एंड कंट्रोल आफ रेबीज इन इंडिया इस दिशा में कार्य कर रहा है। जिससे साल 2030 तक रेबीज जैसे वायरस का नामोनिशान मिटाया जा सके।

उन्होंने बताया कि कॉन्फ्रेंस से पहले शुक्रवार को तीन प्री कान्फ्रेंस आयोजित की गई है। जिसमें ब्रेन सैंपल इन डायग्नोसिस ऑफ़ रेबीज इन एनिमल और सिस्टमैटिक रिव्यू एंड मेटा एनालिसिस कान्फ्रेंस में आये चिकित्सकों ने कुत्ते या फिर अन्य जानवर के काटे जाने पर उसके इलाज की बारीकियां सीखी।

इस दौरान किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रो.बालेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि कुत्ते अथवा किसी जानवर के काटने पर जल्द से जल्द चिकित्सक को दिखाएं। जिससे इलाज में देरी ना हो और सही दिशा में इलाज हो सके। उन्होंने बताया कि इलाज में देरी आगे चलकर बड़ी लापरवाही साबित हो सकती है। क्योंकि कुत्ता बिल्ली अथवा किसी भी जानवर के काटने के बाद घाव कितना गहरा है उसे खुला रखना है या फिर टांके लगाए जाने हैं, यह फैसला एक चिकित्सक ही ले सकता है। उन्होंने बताया कि रेबीज के अलावा भी कई ऐसे बैक्टीरिया होते हैं जो जानवर के लार के जरिए घाव में और उसके बाद शरीर में अपना घर बना सकते हैं और बाद में व्यक्ति को बीमार और बहुत बीमार कर सकते हैं।

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