पाकिस्तान की मदद
चीन अपनी विस्तारवादी नीति के चलते भारत का भरोसा तोड़ने वाली हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। वह अब रक्षा बुनियादी ढांचे के निर्माण में पाकिस्तान की सहायता कर रहा है। चीन पाकिस्तान को मानव रहित और लड़ाकू विमान उपलब्ध करा रहा है। इसके अलावा नियंत्रण रेखा पर भूमिगत केबल बिछाने के साथ ही संचार टावर स्थापित कर रहा है।
चीनी विशेषज्ञ हर मौसम में खुली रहने वाली सड़क बनाने की तैयारी के लिए पीओके में स्थित लीपा घाटी में सुरंगें खोद रहे हैं, जो काराकोरम राजमार्ग तक पहुंचने के लिए वैकल्पिक मार्ग के रूप में काम करेंगी।
चीन पाकिस्तान को 48 विंग लूंग-2 ड्रोन के अलावा,10 सीएच-4ए ड्रोन की आपूर्ति कर रहा है, जो विशेष रूप से जमीन और समुद्र पर उच्च ऊंचाई वाले मिशनों के लिए डिज़ाइन किए गए हैं और पांच हजार मीटर तक की दूरी से हमला कर सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन ने भारत को असंतुलित करने के रुख के अनुरूप पाकिस्तान को अपने हथियारों की आपूर्ति बढ़ा दी है।
पाकिस्तान को हथियारों का हस्तांतरण क्षेत्र में चीन के हितों को सुरक्षित करने की एक योजना का हिस्सा है। गौरतलब है कि भारत-पाकिस्तान 2,289 किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं। इसमें से करीब 192 किलोमीटर लंबा सीमा क्षेत्र जम्मू में पड़ता है। वहीं, भारत और पाकिस्तान के बीच एलओसी मुख्य रूप से कश्मीर में पड़ती है। 772 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा पर सेना का पहरा है।
बीएसएफ इस मोर्चे के लगभग 435 किलोमीटर हिस्से में तैनात है। अधिकारियों के मुताबिक, यह पाकिस्तान के साथ दोस्ती के रूप में चीन की स्थिति को और मजबूत करने के प्रयासों का हिस्सा है। इसके साथ वह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) और क्षेत्र में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) की सड़क व जल विद्युत परियोजनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के बहाने भी मदद कर रहा है।
ध्यान रहे चीन व पाकिस्तान हमेशा करीबी रहे हैं और दोनों देशों के बीच निकटता ‘दो-मोर्चे पर युद्ध’ के विचार को जन्म देती है। महत्वपूर्ण है कि भारतीय सेना सीमा पार से किसी भी चाल को विफल करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। भारत लगातार चीन और पाकिस्तान सीमा पर खुद को मजबूत कर रहा है।
इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सीमा पर रक्षा बुनियादी ढांचे में लगातार सुधार और विकास किया जा रहा है। 2021 में सैन्य संघर्ष विराम की घोषणा के बाद से भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने पाकिस्तान से लगी अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर सेना के टैंकों के लिए रैंप बनाने और बीएसएफ के बंकरों को मजबूत करने सहित रक्षा बुनियादी ढांचे में बड़ा सुधार किया है।
