Russia-Ukraine War: यूक्रेनी महिलाओं के लिए दुख से बाहर निकलने का जरिया बनी चित्रकारी

Amrit Vichar Network
Published By Priya
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कीव। रूस-यूक्रेन युद्ध में अपनों को खोने वाली यूक्रेनी महिलाएं दुख से बाहर निकलने और भावनाओं को व्यक्त करने के लिए चित्रकारी का सहारा ले रही हैं। ये महिलाएं कीव में संचालित ‘अलाइव’ नाम की एक कला चिकित्सा परियोजना का हिस्सा हैं। युद्ध में अपने पति को खो चुकी इरीना फारियन भी उन महिलाओं में शामिल हैं, जो इस परियोजना से जुड़ी हुई हैं। दुख से उबरने के लिए इन दिनों वह अपनी एक ऑयल पेंटिंग को अंतिम रूप दे रही हैं। उनकी कलाकृति में दो पेड़ आपस में ऐसे जुड़े हुए हैं, जैसे कि एक-दूसरे की आगोश में हों।

 उदासीनता को प्रकट करने के लिए पृष्ठभूमि में नीले रंग का इस्तेमाल किया गया है, जबकि एक चमकदार पीला सूरज कलाकृति में नयी जान डालता है। कलाकृति में बने पेड़ों के बारे में फारियन कहती हैं, ‘‘मैं महसूस करती हूं कि ये (पेड़) मैं और मेरे पति हैं। वे दो आत्माओं की तरह हैं, दो दिल और एक शरीर की तरह हैं।’’ फारियन के पति एलेक्जैंडर अलीमोव की दिसंबर में दोनेत्स्क में गोली लगने से मौत हो गई थी। वह कहती हैं कि युद्ध में अपनों को खोने वाली महिलाओं के साथ चित्रकारी करने से कुछ सांत्वना मिलती है। अलीमोव एक प्रसिद्ध कंपनी में आईटी विशेषज्ञ के रूप में काम करते थे, लेकिन युद्ध के शुरुआत दिनों में वह स्वेच्छा से सेना शामिल हो गए थे।

 युद्ध पर जाने से पहले फारियन ने अपने पति से कहा था, ‘‘मैं ऐसे देश में नहीं रहना चाहती, जहां हमें आजादी न हो।’’ फेरियन की दोस्त ओलेसिया स्कल्स्का ने भी युद्ध में अपने पति को खो दिया। वह भी इस समूह का हिस्सा हैं और चित्रकारी कर रही हैं। फेरियन और ओलेसिया की दोस्ती एक कब्रिस्तान में हुई थी। ओलेसिया के पति रोमन स्काल्स्की भी स्वेच्छा से सेना में शामिल हो गए थे। ओलेसिया कहती हैं, ‘‘मेरे पति मेरी और परिवार की रक्षा करना चाहते, इसीलिए मैंने उनके फैसले का समर्थन किया।’’ दोनों जून में शादी की पहली सालगिरह मनाने वाले थे। ओलेसिया का कहना है कि अब वह चित्रकारी करती हैं, क्योंकि इसके जरिये वह खुद को पति से जुड़ा हुआ महसूस करती हैं।

 अपनी कलाकृति का वर्णन करते हुए ओलेसिया बताती हैं, ‘‘एक आदमी गोदी में एक लड़की को लिए हुए गेहूं के खेत से गुजर रहा है... गेहूं की फसल कट चुकी है और खेत खाली है। मैंने कल्पना की है कि वह लड़की को इसलिए गोदी में लिए हुए है, ताकि कोई फांस उसके पैरों में न चुभे।’’ कई वर्ष पहले एक दुर्घटना में अपने पति को खोने वाली ओलेना सोकालस्का ने जनवरी में इस कला परियोजना की शुरुआत की थी। ओलेना कहती हैं कि वह विधवाओं के अकेलेपन को अच्छे से समझती हैं। उन्होंने बताया कि जून तक उनकी इस कला परियोजना से 40 विधवा महिलाएं जुड़ चुकी हैं। रूस और यूक्रेन के बीच लगभग डेढ़ साल से जारी युद्ध के दौरान देश और परिवार की रक्षा के लिए स्वेच्छा से सेना में शामिल हुए कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।

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