प्रयागराज : प्रमाण पत्र में नाम बदलने हेतु सिविल कोर्ट से घोषणा पत्र प्राप्त करना आवश्यक

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Published By Pradumn Upadhyay
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अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाईस्कूल प्रमाणपत्र में नाम बदलने के मामले में कहा कि याची की इच्छानुसार नाम बदलने या घोषित करने की शक्ति विशेष रूप से सिविल कोर्ट में निहित है जो इस तरह की डिक्री देने के लिए पर्याप्त रूप से सक्षम है। कोर्ट ने आगे सुप्रीम कोर्ट के एक मामले का हवाला देते हुए बदले हुए नाम के संबंध में सिविल कोर्ट से घोषणापत्र प्राप्त करने पर जोर दिया है।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि याची को अपने दावे के संबंध में सिविल कोर्ट में घोषणा प्राप्त करने की अनुमति देते हुए याचिका का निपटारा किया जाता है और एक बार ऐसी घोषणा प्राप्त होने के बाद याची उचित ‌दस्तावेजों के साथ बोर्ड से संपर्क करने के लिए स्वतंत्र होता है। अगर याची की ओर से बोर्ड के समक्ष उचित माध्यम यानी कॉलेज के प्रिंसिपल के माध्यम से आवश्यक दस्तावेजों के साथ बात रखी जाती है तो बोर्ड निश्चित रूप से याची की मांग पर विचार करता है।

उक्त आदेश न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की एकलपीठ ने कानपुर निवासी पूजा यादव की याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया। दरअसल मौजूदा मामले में कक्षा 10वीं और 12वीं के अंकपत्र और प्रमाण पत्र में याची का नाम पूजा देवी से बदलकर पूजा यादव करने का अनुरोध किया गया है।

इस पर कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कहा कि नाम बदलने की दो स्थितियां सुनिश्चित की गई हैं, जिनमें पहली स्थिति के अनुसार लोग सार्वजनिक दस्तावेजों जैसे जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, चुनाव कार्ड आदि के आधार पर सीबीएसई प्रमाण पत्र में अपना नाम परिवर्तन करने की मांग करते हैं और दूसरी स्थिति के अनुसार व्यक्ति अपनी पसंद के अनुसार नाम प्राप्त करना चाहता है।

सर्वोच्च न्यायालय ने इस तरह के बदलाव हेतु उम्मीदवार के लिए संबंधित सार्वजनिक दस्तावेजों का समर्थन आवश्यक नहीं माना है, लेकिन इस संबंध में अदालत द्वारा पूर्व अनुमति लेने पर जोर देते हुए आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशन सहित मूल प्रमाण पत्र का समर्पण/वापसी आवश्यक मानी है।

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