अयोध्या: मंदिर के संग्रहालय में दिखेंगे राम दरबार वाले सिक्के
भारतीय मुद्रा परिषद के सदस्य अयोध्या में जुटा रहे प्राचीन मुद्राएं
अयोध्या, अमृत विचार। अयोध्या में 500 वर्ष के बाद भव्य राम मंदिर के इतिहास को दोहराया जा रहा है। इसके साथ ही प्राचीन धरोहरों को सहेजने का भी कार्य किया जा रहा है। भारतीय मुद्रा परिषद के सदस्य सनी तिवारी अपने पूर्वजों के कार्यों को आगे बढ़ाते हुए प्राचीन मुद्राओं को जुटाने का कार्य कर रहे हैं। अब तक 80 से अधिक प्राचीन सिक्कों को एकत्रित किया जा चुका है, जिसे राम मंदिर स्थित संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा।
भारतीय मुद्रा परिषद के सदस्य सनी तिवारी बताते हैं कि उनके संग्रह में सैकड़ों वर्ष पुराने रामदरबार टंका (टोकन) और प्राचीन मुद्राएं हैं। यह सभी अयोध्या की पुर्नस्थापना करने वाले विक्रमादित्य के बंशज कुमार गुप्त के सिक्के (413 एडी टू 455 एडी), जिसमें ब्राह्मी लिपि में परंभगवता महाराजाधिराज श्री कुमार गुप्तस्य महिन्द्रादित्य लिखा हुआ है। इन सिक्कों में अग्रभाग में भगवान श्री राम माता सीता सिंघासन पर विराजमान हैं। दाहिने तरफ छत्र लिए धनुष बाण सहित लक्ष्मण जी खड़े हैं। बायीं ओर हनुमान जी प्रणाम की मुद्रा में खड़े हैं। टंका के पीछे राम, लक्ष्मण धोती पहने हुए व धनुष बाण सिर पर मुकुट धारण किये हुए खड़े हैं, जिस पर गुरमुखि भाषा अंकित है।
बाबर ने गलवा दिए थे सिक्के
सनी तिवारी बताते हैं कि ऐसा माना जाता है कि 1500 ईस्वी के लगभग मुगल आक्रांता बाबर के भारत में आने के कुछ महीनों पूर्व ही किसी हिन्दू राजा द्वारा ये राम दरबार के चांदी के सिक्के ढलवाये गए थे, जो कि अब दुर्लभ हैं। उसका कारण बाबर के द्वारा इन सिक्कों को गलवा दिया गया था। इसी सिक्के को देखते हुए बाद में राम दरबार के टंका बनाये जाने लगे, जिसे हिन्दू अपने घरों में रख के पूजा पाठ करते थे। क्योंकि मुगलों के आतंक की वजह से बहुत से हिन्दू मंदिर नहीं जा पाते थे। आज इन मुद्राओं व टंका की जानकारी आने वाले युवा पीढ़ियों को भी मिल सके इसलिए इन मुद्राओं को श्रीराम जन्मभूमि में निमार्णाधीन संग्रहालय में डोनेट भी करेंगे।
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