छत्तीसगढ़: कमार जनजाति समूह को प्रदान किया गया पर्यावास अधिकार मान्यता पत्र

Amrit Vichar Network
Published By Om Parkash chaubey
On

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने बुधवार को ‘कमार’ जनजाति समूह को पर्यावास अधिकार मान्यता पत्र प्रदान किया। राज्य में यह पहली बार है जब किसी जनजाति समूह को यह मान्यता पत्र प्रदान किया गया है। जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ‘विश्व आदिवासी दिवस’ नौ अगस्त के अवसर पर छत्तीसगढ़ के विशेष रूप से कमजोर जनजाति समूह 'कमार' को पर्यावास अधिकार मान्यता पत्र वितरित किया। उन्होंने बताया कि राज्य में पहली बार विशेष रूप से कमजोर जनजाति समूह को पर्यावास अधिकार प्रदान किया गया है।

इसके साथ ही छत्तीसगढ़ देश का दूसरा राज्य बन गया है, जहां विशेष रूप से कमजोर जनजाति समूह को पर्यावास अधिकार दिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री बघेल ने बुधवार को अपने निवास कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में धमतरी जिले के 22 कमार पारा/टोला के मुखिया को पर्यावास अधिकार मान्यता पत्र प्रदान किया।

उन्होंने बताया कि वन अधिकार अधिनियम 2006 की धारा दो (ज) में पर्यावास अधिकारों को परिभाषित किया गया है। इसके अनुसार पर्यावास अधिकार विशेष रूप से संवेदनशील जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के पर्यावास क्षेत्र के अंतर्गत उनके पारंपरिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और आजीविका से संबंधित पारिस्थितिकी तंत्र पर पारंपरिक रूप से निर्भरता तथा जैव विविधता अथवा पारंपरिक ज्ञान का अधिकार मान्य करने के साथ उनके संरक्षण और संवर्द्धन के लिए मान्यता प्रदान करता है।

अधिकारियों ने बताया कि पर्यावास अधिकार प्रदान करने की यह पहल अन्य विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के लिए एक मार्गदर्शिका सिद्ध होगी तथा जल्द ही अन्य विशेष रूप से कमजोर जनजाति समूहों के लिए भी इस दिशा में प्रयास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि राज्य में भारत सरकार द्वारा घोषित पांच पीवीटीजी बैगा, पहाड़ी कोरवा, अबुझमाड़िया, कमार और बिरहोर निवासरत हैं। इसके अलावा राज्य शासन दो विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह पण्डो एवं भुंजिया को पीवीटीजी घोषित किया गया है।

इस प्रकार राज्य में कुल सात विशेष रूप से कमजोर जनजाति समूह निवासरत हैं, इनमें से कमार पहली जनजाति है जिसे पर्यावास अधिकार देने की पहल की गई है। अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा आदिवासियों को अधिकार सम्पन्न बनाने का महत्वपूर्ण कार्य किया गया है।

समर्थन मूल्य पर धान, लघु वनोपजों, मोटे अनाज की खरीदी के साथ व्यक्तिगत, सामुदायिक वन अधिकार पत्र, सामुदायिक वन संसाधन के अधिकार प्रदान किए गए हैं। बघेल ने कहा, ''छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जहां वन अधिकार मान्यता पत्र के माध्यम से आदिवासियों और वनवासियों को दी गई जमीन की ऋण पुस्तिका बनाई गई है।

ऋण पुस्तिका बनने से पट्टेधारियों के लिए समर्थन मूल्य पर कृषि और लघु वनोपजों तथा मिलेट्स उपज बेचना संभव हो रहा है। इसके साथ ही साथ उन्हें कृषि कार्यों के लिए शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण भी उपलब्ध हो रहा है।'' 

ये भी पढ़ें - छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए बसपा ने जारी की 9 उम्मीदवारों की सूची