मानसून सत्र: जब पक्षपात के आरोप से आहत कुर्सी छोड़ चले गए सदन से सतीश महाना, जानें मामला

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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लखनऊ अमृत विचार। राज्य विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान उस वक्त खलबली मच गई जब, सपा सदस्य के एक सदस्य की टिप्पणी से नाराज हो विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना अचानक पीठ छोड़कर चले गए। जाते-जाते उन्होंने 20 मिनट के सदन स्थगित कर दिया। सपा सदस्य ने सीधे अध्यक्ष पर विपक्ष को न बोलने देने का आरोप लगा दिया था। ऐसे में अचानक अध्यक्ष के चले जाने से सदन में अफरा-तफरी मच गई।

बाद में पीठ पर लौटे सतीश महाना ने भावुक शब्दों में कहा कि अगर एक भी सदस्य मुझपर पक्षपात करने का आरोप लगाता है तो मैं इस कुर्सी पर नहीं बैठूंगा। महाना का इतना कहना था कि सपा के ही वरिष्ठ सदस्यों ने न केवल उनकी जमकर प्रशंसा की बल्कि उनका मूड ठीक करने के लिए तनिक चुहलबाजी भी की।

दरअसल, गुरुवार को प्रश्नकाल में सपा के इंजीनियर सचिन यादव द्वारा पूछे गए सवाल पर औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी जवाब दे रहे थे। सचिव यादव ने जानना चाहा कि मंत्री बताएं कि हर जिले में कितने युवाओं को रोजगार मिले हैं और कितने नए निवेश आए हैं और कितने निवेशकों ने अपने पुराने उद्योग में आगे निवेश किया है।

इसी बीच विधानसभा अध्यक्ष ने शोर मचा रहे सपा सदस्यों को शांत रहने के निर्देश दिए लेकिन वे शोर मचाते रहे। इसी बीच धर्मराज सिंह यादव ने अपने स्थान से खड़े होकर मंत्री पर आरोप लगाने शुरू किए। विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें नियमों का हवाला देते हुए कहा कि अपने स्थान पर बैठ जाएं लेकिन धर्मराज यादव ने सीधे आरोप लगा दिया कि अध्यक्ष महोदय विपक्ष को बोलने नहीं देते हैं।

इस आरोप पर सतीश महाना बेहद नाराज़ हो गए। उन्होंने कहा कि मैं यह आरोप सुनने के लिए कतई तैयार नहीं हूं। अगर ऐसा है तो मैं पीठ से हट जाता हूं और उन्होंने अधिष्ठाता मंडल के एक सदस्य को पीठ का संचालन संभालने के लिए आवाज दी और उठ कर चले गए। सपा सदस्यों ने उनकी मान-मनौव्वल की तो अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही 20 मिनट के लिए स्थगित करने की घोषणा की और अपने कक्ष में चले गए।

बाद में सपा सदस्य उनके पीछे-पीछे गए और उन्हें कक्ष में मनाया। बाद में सपा के वरिष्ठ सदस्य अवधेश प्रसाद ने कहा कि आपने तो उप्र. विधानसभा की गरिमा पूरे देश में बढ़ाई है। आपका तो समाज देश-दुनिया में इतना सम्मान है जितना सरकार का भी नहीं है। इस पर सदन में ठहाके गूंज उठे। सदस्य ओम प्रकाश ने भी उनका मूड ठीक करने की मंशा से कहा कि अब तो कृपया मुस्कुरा दीजिए..। इसके बाद सदन का माहौल हल्का हुआ और सदन की कार्यवाही भी आगे बढ़ी।

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