दुखद है कि जब भारत कोविड से लड़ रहा था, कुछ लोगों ने देश की क्षमता पर सवाल उठाए: धनखड़

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Published By Moazzam Beg
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नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि यह दुखद है कि जब भारत कोविड-19 महामारी से मुकाबला कर रहा था और अन्य देशों की मदद कर रहा था, उस दौरान कुछ लोगों ने देश की क्षमताओं पर विश्वास नहीं किया। उपराष्ट्रपति धनखड़ अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली के 48वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। 

उन्होंने कहा, "एक राष्ट्र के रूप में, हमें उस रवैए से 'बचने' की जरूरत है। इससे किसी को फायदा नहीं होगा।’’ धनखड़ ने आगे कहा कि वह कानूनी पेशे से आते हैं और वह समझते हैं कि पेशेवराना रुख का क्या अर्थ है। इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया और स्वास्थ्य राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल भी मौजूद थे। धनखड़ ने कहा कि दीक्षांत समारोह तीन साल के अंतराल के बाद हो रहा है और यह अंतराल उन्हें कोविड महामारी की याद दिलाता है।

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों ने अपनी कड़ी मेहनत और गंभीर प्रयासों से देश को उस संकट से बाहर निकाला। उपराष्ट्रपति ने कहा, "उन्होंने हमारे सभ्यतागत लोकाचार का प्रदर्शन किया। हमने अपने यहां भी कोविड से लड़ाई लड़ी और साथ ही कई देशों की भी मदद की। यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। यह देखना दुखद था कि हमारी क्षमता पर विश्वास नहीं करते हुए कुछ चिंताएं जताई गईं।’’ 

उन्होंने कहा कि भारत आज विश्व की फार्मेसी बन गया है। उन्होंने कहा, "हमारे पास वह कौशल, मानव संसाधन है। लेकिन हमें आम आदमी के लिए दवाओं को किफायती बनाने की खातिर कुछ और काम करना होगा। सरकार ने इस दिशा में व्यापक स्तर पर काम किया है।" 

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