कफन की प्रभावपूर्ण नाट्य प्रस्तुति से नशाखोरी की प्रासंगिकता पर कड़ा प्रहार 

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Published By Vishal Singh
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श्रीगंगानगर। नशाखोरी के पारिवारिक और सामाजिक प्रभाव आज भी उतनी ही खतरनाक तथा प्रासंगिक हैं जितने की कई दशक पहले थे। प्रख्यात साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद ने नशाखोरी के दुष्परिणामों को इंगित करते हुए ..कफन.. कहानी की रचना की थी। इसी कहानी पर आधारित नाट्य प्रस्तुति ..कफन..का कल रात राष्ट्रीय कला मंदिर के तत्वावधान मे चौधरी रामजस कला सदन (ऑडिटोरियम) में किया गया। 

इस कहानी का नाट्य रूपांतरण एवं निर्देशन रंगकर्मी मोहन दादरवाल ने किया। नाट्य प्रस्तुति में श्यामसुंदर शर्मा, राकेश नायक, सुरेंद्र नायक, राजेंद्रप्रसाद, अनिलसिंह, शिवचरण,ऋतिक मेघवाल, उमंग शर्मा, योगराज भाटिया, चौतन्य, वंश बतरा, पूजाक्षी जग्गा, जसप्रीतकौर,सोनू नायक, मोहन दादरवाल, मनोज कुमार, संदीप तथा सुशील चांदलिया बहुत ही प्रभावी तथा शानदार अभिनय निभाते विभिन्न पात्रों की भूमिकाओं में‌ जान डाल दी।प्रकाश संचालन बजरंग जालप तथा मंच संचालन सुनील शर्मा ने किया। 

राष्ट्रीय कला मंदिर के अध्यक्ष वीरेंद्र बैद ने बताया कि मुख्य अतिथि सामाजिक कार्यकर्ता नीरज चलाना, वरिष्ठ रंगकर्मी एवं निर्देशक हरविंदरसिंह, सामाजिक कार्यकर्ता महेश पेड़ीवाल तथा दी गंगानगर ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष धर्मवीर डूडेजा रहे। सचिव शिव जालान ने बताया कि सभी कलाकारों, पर्दे के पीछे के सहयोगियों तथा अतिथियों का स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया गया। 

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