हवा से पानी पैदा करने वाला कपड़ा आने वाला है, UPTTI और IIT Kanpur के विशेषज्ञ कर रहे विकसित

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर में हवा से पानी पैदा करने वाला कपड़ा आने वाला है।

यूपीटीटीआई और आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञ हवा से पानी पैदा करने वाला कपड़ा विकसित कर रहे है। समुद्र और रेगिस्तान में प्यास बुझाने के काम आएगा।

कानपुर, [शशांक शेखर भारद्वाज]। उत्तर प्रदेश वस्त्र प्रौद्योगिकी संस्थान (यूपीटीटीआई) और आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञ ऐसा कपड़ा विकसित करने जा रहे हैं, जिसकी मदद से हवा में मौजूद पानी के कणों को अवशोषित कर पीने के उपयोग में लाया जा सकेगा। इस प्रक्रिया में पानी को शोधित करने के गुण भी शामिल रहेंगे। यह शोध कार्य नेशनल टेक्निकल टेक्सटाइल मिशन के अंतर्गत किया जा रहा है, जिसके लिए संस्थान के विशेषज्ञों को करीब एक करोड़ रुपये की ग्रांट मिली है। 

दुनिया भर में पर्वतीय, बंजर और मरुस्थलीय क्षेत्रों के अलावा कई बार समुद्री रास्तों में पीने के पानी का संकट हो जाता है। ऐसे में हवा से पानी पैदा करने वाला कपड़ा विकसित होने पर समुद्र और रेगिस्तान में फंसे लोगों की जान आसानी से बचाई जा सकती है।

इसे ही देखते हुए यूपीटीटीआई के पूर्व निदेशक प्रो. मुकेश सिंह व टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी के प्रो. शुभंकर मैती और आईआईटी कानपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रो. समीर खांडेकर खास तरह का ऐसा कपड़ा तैयार करने में जुटे हैं, जिसको हवा में ऊंचाई पर रखने पर वायुमंडल से पानी को अवशोषित किया जा सके। यह कपड़ा  कोहरे का जल, वाष्पीकृत होता पानी और ओस को सोख लेगा। इसमें लगे नैनो फिल्टर पानी की गंदगी को साफ कर नीचे रखे बर्तन या टैंक में जमा कर देंगे।

बैनर की तरह लगाना होगा कपड़ा 

प्रो. शुभंकर मैती के मुताबिक हवा से पानी अवशोषित करने वाले फाइबर से बनाए जाने वाले कपड़े को करीब 20 फीट की ऊंचाई पर बैनर या दो पोल के सहारे लगाना होगा। इसमें बहुत छोटे फिल्टर लगे रहेंगे, जिसका सिरा नीचे तक जाएगा। प्रो. मैती के मुताबिक अब तक वायुमंडल से पानी अवशोषित करने की इतनी सस्ती तकनीक विकसित नहीं हुई है। इसलिए कपड़ा तैयार होते ही इसकी भारी मांग होगी। यह कपड़ा कई ऐसे देशों को निर्यात किया जा सकेगा, जहां पानी का संकट रहता है।

सैन्य बलों के लिए मुश्किल क्षणों में होगा बड़ा मददगार 

विशेषज्ञों ने बताया कि सेना के लिए मुश्किल क्षणों में यह कपड़ा काफी मददगार साबित हो सकता है। समुद्र में याच और बड़ी बड़ी बोट में कपड़ा लगाकर पेयजल की समस्या का इंतजाम किया जा सकेगा। इसी तरह रेगिस्तान में भी पीने के पानी के लिए यही तरीका अपनाया जा सकता है। 

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