Kanpur: मोमोज, पिज्जा, बर्गर दे रहा युवाओं को रेक्टल कैंसर, हैलट अस्पताल में पहुंच रहे मरीज, जागरूकता की कमी

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर के हैलट अस्पताल में रेक्टल कैंसर के मरीज पहुंच रहे।

मोमोज, पिज्जा, बर्गर युवाओं को रेक्टल कैंसर दे रहा है। कानपुर के हैलट अस्पताल की सर्जरी ओपीडी में प्रतिदिन मरीज पहुंच रहे है।

कानपुर, [विकास कुमार]। अधिकतर बुजुर्गों को घेरने वाली बीमारी रेक्टल कैंसर (मलद्वार का कैंसर) अब युवाओं को भी अपना शिकार बना रही है, जिसकी मुख्य वजह मोमोज, पिज्जा, बर्गर व मैदे युक्त चीजों का सेवन और स्वाद के चक्कर में लाल मिर्च का सेवन लंबे तक करना आदि है। गलत खानपान व अनियमित दिनचर्या से युवा भी मलद्वार के कैंसर से पीड़ित हो रहे हैं। 

बदलती दिनचर्या व अनियमित खानपान की वजह से अब युवाओं को रेक्टल कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ रहा है। कई तरह के फास्ट फूड का अधिक व लंबे तक सेवन करने से युवाओं में यह समस्या आम होती जा रही हैं। बाहर का भोजन लोगों के मलद्वार को अधिक प्रभावित कर रहा है।

इस समस्या से पीड़ित प्रतिदिन पांच से छह मरीज हैलट की सर्जरी ओपीडी में इलाज कराने को पहुंच रहे हैं, ऐसे मरीजों को चलने, उठने व बैठने में भी काफी दिक्कत होती हैं। मलाशय के कैंसर के संकेतों में आंत में बदलाव या मल में रक्त आदि शामिल हैं।

वहीं, जानकारी के अभाव में लोग बवासीर व भंगदर का इलाज कराते रहते है, जिससे स्थिति और गंभीर हो जाती हैं। घर से बाहर रहने वाले लोग और बाहर के खाने के शौंकिन लोग अधिक इस बीमारी की गिरफ्त में आ रहे हैं। डॉक्टर के मुताबिक पहली बार में ही मल के साथ रक्त आना, दर्द व किसी एक हिस्से में दर्द व जलन आदि होने पर सचेत हो जाना चाहिए। जागरूक होने पर इस गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है। 

शराब, गुटखा व तंबाकू भी वजह 

कानपुर गुटखा उद्योग के लिए भी काफी मशहूर हैं। यहां पर गुटखा की कई फैक्ट्रियां संचालित हैं। शौक के लिए शुरू किया गया गुटखा, तंबाकू व शराब का सेवन लोगों को मुंह व फेफेड़ों के कैंसर से तो पीड़ित कर ही रहा हैं।  वहीं, अब युवाओं को रेक्टल कैंसर (मलद्वार का कैंसर) का भी जख्म दे रहा है, जिस कारण युवाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हैं। 

लोगों में है काफी जागरूकता की कमी 

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ गैस्ट्रो सर्जन प्रोफेसर डॉ. आरके जौहरी ने बताया कि रेक्टल कैंसर (मलद्वार का कैंसर) की समस्या बुजुर्गों में देखने को मिलती हैं, जो अब युवाओं को भी अपनी गिरफ्त में ले रही हैं। इसका मुख्य कारण अनियमित दिनचर्या व गलत खानपान है। वहीं, मैदे युक्त चीजें, लाल मिर्च, गुटखा, तंबाकू व शराब का अधिक व लंबे समय तक सेवन भी इस कैंसर को जन्म देता है।

जानकारी के अभाव में लोग बवासीर व भंगदर का इलाज कराते हैं, जब वह नहीं सही होता है और स्थिति और गंभीर हो जाती है, तब वह इलाज के लिए हैलट आते हैं। एडवांस स्टेज पर आने वाले मरीजों की सर्जरी कर उनको ठीक करने का प्रयास किया जाता है।

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