नैनीताल: 1888 में हुए भूस्खलन में दफ़न हो गए थे 151 ब्रिटिश और भारतीय नागरिक

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Published By Bhupesh Kanaujia
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नैनीताल, अमृत विचार। नैनीताल के चाटर्न लॉज क्षेत्र की पहाड़ी में हो रहे भूस्खलन के बाद अब स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है। बीती शनिवार को पहाड़ी में हुए भूस्खलन के बाद सोमवार को भू वैज्ञानिकों की टीम ने चाटर्न लॉज क्षेत्र का निरीक्षण कर पहाड़ी की स्थितियों को जाना।
 
जानकारी देते हुए एसडीएम प्रमोद कुमार ने बताया भूस्खलन की घटना के बाद जिला प्रशासन की टीम ने पहाड़ी का सर्वे किए जाने के लिए भु-गर्भ वैज्ञानिकों को बुलाया है जो पहाड़ी की भार वहन क्षमता समेत पहाड़ की मजबूत स्थिति की जानकारी एकत्र कर भूस्खलन को रोके जाने की रिपोर्ट तैयार करेंगे। निरीक्षण के दौरान भूगर्भ वैज्ञानिकों ने पहाड़ी से हो रहे भूस्खलन को तत्काल रोके जाने के सुरक्षात्मक कार्य किए जाने का सुझाव अधिकारियों को दिए हैं।
 
 
जिला प्रशासन ने स्थानीय लोगों की सुरक्षा को देखते हुए भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र के करीब 50 मीटर के दायरे में रहने वाले 24 से अधिक परिवारों को शहर के स्कूलों समेत अन्य स्थानों पर विस्थापित कर दिया है ताकि कोई परिवार भूस्खलन की चपेट में ना आए।
 
1880 में हुए भूस्खलन के मालवा के ढेर में बसी है हजारों की आबादी
 
नैनीताल के चाटर्न लॉज लॉज समेत आसपास के क्षेत्र जो इन दोनों भूस्खलन की चपेट में है वो स्थान पूर्व से ही बेहद संवेदनशील रहा है।18 सितंबर 1880 को  नैनीताल में आए विनाशकारी भूस्खलन में चीना पिक की पहाड़ी से जो मालवा नीचे की तरफ गिरा उस मालवे में अब हजारों की संख्या में लोगों ने अपने घर बनाए हैं। नैनीताल समेत आसपास के क्षेत्र में समय-समय पर आने वाले भूकंप समेत भूस्खलन की घटना से अब चाटर्न लॉज समेत आसपास की पहाड़ी बेहद कमजोर हो चली है जिसके चलते लगातार इस तरह की घटनाएं देखने को मिल रही है जो आने वाले समय के लिए एक बड़े खतरे का संकेत है।
 
नैनीताल चाइनापीक कि पहाड़ी में 1880 के दशक से चाइना पीक की पहाड़ी पर लगातार भूस्खलन हो रहा है। 18 सितंबर 1888 को चाइनापीक की पहाड़ी में हुए विनाशकारी भूस्खलन में 151 भारतीय और ब्रिटिश नागरिकों कि मौत हो गई। जिसके बाद से लगातार समय समय पर पहाड़ी से भूस्खलन हो रहा हैं।
 
लेकिन अब तक पहाड़ी ट्रीटमेंट के लिए अब तक कोई बड़ी कार्य योजना नहीं बनी और ना ही पहाड़ी के ट्रीटमेंट के लिए अब तक कोई कार्य किए गए जिसके चलते लगातार समय-समय पर चाइना पीक की पहाड़ी पर पड़ा भूस्खलन हो रहा है। जिससे पहाड़ी की तलहटी पर रहने वाले लोगों की जान पर खतरा मंडरा रहा है।
 
कुमाऊं विश्वविद्यालय के भूगर्भ शास्त्री प्रोफ़ेसर बहादुर सिंह कौटल्या बताते हैं कि नैनी पीक की पहाड़ी पर समय-समय पर हो रहा भूस्खलन आने वाले समय में एक बड़ा खतरा नैनीताल के लिए बन सकता है। पहाड़ी पर हो रहे भूस्खलन को रोकने के लिए उन्होंने अध्ययन रिपोर्ट पूर्व में शासन को भेजी है। जिस पर सरकार ने आज तक कोई अमल में नहीं किया जिसके चलते समय समय पर भूस्खलन हो रहे हैं। अगर समय रहते भूस्खलन को रोकने के लिए ठोस नीति बनाकर कार्य शुरू नहीं किए तो जल्द ही पहाड़ी में बड़ा भूस्खलन देखने को मिल सकता है।
 
1984 में हुए भूस्खलन के दौरान दब गए थे कई घर और जानवर
 
क्षेत्रीय निवासी सुरेंद्र प्रसाद बताते हैं कि इससे पूर्व 1984 में भी पहाड़ियों में बड़ा भूस्खलन हुआ था। जिसमें कई घर, घोड़े मलबे में दब गए। जिसके बाद प्रशासन ने क्षेत्र में रहने वाले लोगों को सूखाताल,आयरपटा,यूथ हॉस्टल, प्राइमरी स्कूल समेत आसपास के क्षेत्रों में विस्थापित किया। जिसके बाद प्रशासन ने भूस्खलन को रोकने के लिए अस्थाई निर्माण कार्य किए उसके बाद से क्षेत्र में कोई कार्य नहीं हुआ।
 

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