बरेली: हवाई दावों का अंजाम... अब हवा में कुतुबखाना पुल का भविष्य

बरेली: हवाई दावों का अंजाम... अब हवा में कुतुबखाना पुल का भविष्य

बरेली, अमृत विचार। कोतवाली से कोहाड़ापीर तक तंग सड़क पर कुतुबखाना पुल का निर्माण कराने में व्यावहारिक कठिनाइयों की अनदेखी कर छह महीने के अंदर पुल बनाकर तैयार करने का हवाई वादा अब अफसरों और जनप्रतिनिधियों पर ही भारी पड़ने लगा है।

कार्यदायी संस्था के कोहाड़ापीर रोड पर एक महीने तक आवाजाही पूरी तरह बंद होने तक आगे काम करने से इन्कार कर दिए जाने के बाद सोमवार को कोतवाली में बैठक बुलाकर व्यापारियों को बाजार बंद करने के लिए मनाने की कोशिश की गई लेकिन पहले से उकताए बैठे व्यापारियों ने सीधे-सीधे यह प्रस्ताव ठुकरा दिया।

रोज चार घंटे दुकानें खोलकर कारोबार करने की शर्त भी खारिज कर दी। इसी के साथ कुतुबखाना पुल का भविष्य अनिश्चित हो गया है। हालांकि तीन दिन बाद दोबारा बैठक बुलाई गई है। पिछले साल सितंबर में व्यापारियों से छह महीने के अंदर कुतुबखाना पुल का निर्माण कराकर उनका कारोबार प्रभावित न होने देने का वादा कर काम शुरू कराने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए ही यह पुल अब समस्या बन गया है।

जनप्रतिनिधियों की हां में हां मिलाकर पुल बनाने का विरोध कर रहे व्यापारियों पर दबाव बनाने वाले अफसरों को भी कागजी खानापूरी करने के अलावा अपनी गर्दन बचाने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है।

कुछ समय पहले तक भरसक कोशिश की जा रही थी कि पुल का निर्माण किसी भी तरह लोकसभा चुनाव से पहले पूरा करा दिया जाए लेकिन पिछले 20 दिनों में हुए दो हादसों में मजदूर धनंजय और ठेकेदार सुधीर की मौत के बाद काम की गति ही लगभग रुक गई है।

कार्यदायी संस्था ने शर्त रख दी है कि कोहाड़ापीर की ओर काम तभी हो पाएगा, जब बाजार बंद कराकर इस रोड पर आवाजाही पूरी तरह रोक दी जाए, लेकिन व्यापारी किसी हालत में बाजार बंद करने को तैयार नहीं हैं।

कोतवाली में सोमवार को यह समस्या हल करने के लिए बुलाई गई बैठक का कोई नतीजा नहीं निकल पाया। करीब दो घंटे तक इस बैठक में कार्यदायी संस्था ने कोहाड़ापीर रोड पर एक महीने के लिए पूरी तरह आवाजाही बंद कराने की शर्त रखी।

प्रशासन, सेतु निगम, नगर निगम और पुलिस के अधिकारियों के सामने यह भी साफ कर दिया कि जब तक आवाजाही बंद नहीं होगी, वह काम नहीं करेगी। कार्यदायी संस्था के अधिकारियों ने कहा कि वे लोग बैरिकेडिंग के साथ कई और उपाय कर लोगों को रोकने की कोशिश कर चुके हैं लेकिन लोग मानने को तैयार नहीं हैं।

दो लोगों की मौत हो चुकी है, वे अब किसी हालत में और जोखिम नहीं लेंगे। प्रशासन के अफसरों ने इसके बाद व्यापारियों से महीने भर के लिए बाजार बंद करने का आग्रह किया लेकिन उन्होंने भी इसे मानने से साफ इन्कार कर दिया।

इसके बाद उनके आगे रोज चार घंटे दुकानें खोलने का प्रस्ताव रखा गया मगर वे रोज 10 से 12 घंटे दुकान खोलने पर अड़ गए। अंत में बगैर किसी नतीजे के बैठक खत्म हो गई। बैठक में अपर नगर आयुक्त सुनील कुमार यादव, कार्यदायी संस्था के पीडी एमके सिंह, सेतु निगम के डीपीएम अरुण कुमार, सीओ श्वेता यादव, इंस्पेक्टर धर्मेंद्र सिंह के साथ कई प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे।

प्रशासन और नगर निगम के अफसरों ने फंसा दिया कार्यदायी संस्था को सेतु निगम के इंजीनियरों का कहना है कि पिछले साल सितंबर में पुल का निर्माण शुरू करने से पहले ही कार्यदायी संस्था से तय हुआ था कुतुबखाना से लेकर कोहाड़ापीर तक जिस जगह पिलर बनाने या कोई दूसरा निर्माण होगा, वहां आसपास आवाजाही पूरी तरह बंद रखी जाएगी।

लोकसभा चुनाव नजदीक आने के बाद स्मार्ट सिटी के अफसर अपने इस वादे पर अमल करने के बजाय जनप्रतिनिधियों की मंशा पूरा करने के लिए बार-बार निर्माण की प्रगति देखने के साथ कार्यदायी संस्था पर तेजी से काम कराने का दबाव बनाने लगे।

उसकी कठिनाई समझे बगैर हाल ही में दो बार उस पर 38-38 लाख का जुर्माना भी डाल दिया गया। दबाव में निर्माण तेज किया गया तो एक-एक कर दो जान चली गईं और कार्यदायी संस्था के एमडी और प्रोजेक्ट मैनेजर पर रिपोर्ट भी दर्ज हो गई। अब कार्यदायी संस्था के अधिकारी और ठेकेदार अड़ गए हैं कि वादे के मुताबिक आवाजाही पूरी तरह बंद होने पर ही काम शुरू कराएंगे।

व्यापारियों ने कहा- दिवाली के सीजन में बाजार बंद हुआ तो बर्बाद हो जाएंगे
इस बार दिवाली 9-10 नवंबर को होगी यानी अगर महीने भर बाजार बंद रहा तो व्यापारियों को काफी हद तक दिवाली का सीजन गंवाना पड़ेगा।

इसी को लेकर कोतवाली में बैठक के दौरान व्यापारी नेता देवेंद्र जोशी, अमरजीत सिंह, दानिश जमाल ने कहा कि कोहाड़ापीर रोड का बाजार पूरी तरह बंद कराया गया तो बड़े पैमाने पर व्यापारी बर्बाद हो जाएंगे। उन्होंने तर्क दिया कि त्योहारों का सीजन चल रहा है। एक साल से कारोबार पूरी तरह ठप है।

अब थोड़े बहुत कारोबार की उम्मीद है इसलिए किसी भी हालत में दुकानें बंद नहीं की जाएंगी। कुछ व्यापारियों ने कहा कि कार्यदायी संस्था तो अपना काम कर रही है, लेकिन पुलिस-प्रशासन को भी सहयोग करना चाहिए। जहां-जहां शटरिंग जैसा काम हो रहा है, वहां आवाजाही रोकने के लिए लोगों पर सख्ती की जानी चाहिए।

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कुतुबखाना के व्यापारियों ने सीओ सिटी से कहा कि जिला अस्पताल से कोतवाली तक पुलिस ने सैकड़ों फड़ और ठेले अवैध रूप से लगवा दिए हैं। कुतुबखाना चौकी की पुलिस रोज इन लोगों से वसूली करती है।

एक फड़ वाले से 50 रुपये रोज लिए जाते हैं। इस वजह से वे पूरी तरह बेलगाम हो चुके हैं। दुकानदारों और उनके ग्राहकों से आए दिन उनकी कहासुनी होती है। पिछले दिनों पुलिस की अवैध उगाही के विरोध में दो बार व्यापारी दुकानें बंद कर विरोध जता चुके हैं। अफसरों ने आला हजरत के उर्स के बाद अवैध दुकानें बंद कराने का वादा किया था लेकिन अब हाथ झाड़ लिए हैं।

अपने बचाव के लिए सेतु निगम को निशाना बना रही हैं नगर आयुक्त

सेतु निगम के एक इंजीनियर ने नाम नहीं छापने का आग्रह करते हुए बताया कि स्मार्ट सिटी की सीईओ नगर आयुक्त निधि गुप्ता वत्स जनप्रतिनिधियों के दबाव के कारण अपने बचाव के लिए लगातार निरीक्षण कर काम में कमियां निकाल रही हैं।

उन्होंने सेतु निगम के निदेशक को पत्र भी भेजा है। सेतु निगम के डीपीएम को कार्रवाई की चेतावनी देते हुए कई पत्र लिख चुकी हैं। लेकिन सुरक्षा मानकों की अनदेखी करने वाले ठेकेदार पर नगर आयुक्त कोई सख्ती करने को तैयार नहीं हैं।

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