छत्तीसगढ़: सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं से जुड़े दो लोगों को बीजेपी ने दिया टिकट, वोटों के ध्रुवीकरण की संभावना

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Published By Moazzam Beg
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रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विधानसभा चुनाव में उन दो लोगों को अपना उम्मीदवार बनाया है जिनका संबंध राज्य में हुए सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं से है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक पार्टी के इस फैसले के बाद इन सीट पर वोटों के ध्रुवीकरण की संभावना बढ़ गई है। छत्तीसगढ़ में हो रहे विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने सोमवार को उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की। 

64 उम्मीदवारों के नाम वाली इस सूची में साजा विधानसभा सीट से ईश्वर साहू और कवर्धा सीट से विजय शर्मा का नाम है। साहू के बेटे की इस साल अप्रैल महीने में बेमेतरा जिले के बिरनपुर गांव में सांप्रदायिक हिंसा में मौत हो गई थी। वहीं, भाजपा नेता विजय शर्मा को पुलिस ने वर्ष 2021 में कवर्धा शहर में हुए दंगे के लिए आरोपी बनाया था। 

भाजपा ने अब तक राज्य की 90 विधानसभा सीट में से 85 पर उम्मीदवारों की घोषणा की है। यहां सात और 17 नवंबर को दो चरणों में मतदान होगा। उम्मीदवारों की सूची में नाम आने के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए ईश्वर साहू ने कहा, ''मैं भाजपा को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिसने एक गरीब आदमी को अपना सदस्य बनने का मौका दिया। उन्होंने मुझे बड़ी जिम्मेदारी दी है और मैं इसे पूरी निष्ठा से निभाऊंगा।'' 

साहू ने कहा, ‘‘जब मेरे बेटे की हत्या हुई, तो सभी हिंदू भाइयों ने मेरा समर्थन किया और मेरे घर आए तथा मेरे दुःख और दर्द में मेरे साथ खड़े रहे। मैं हर हिंदू के घर जाऊंगा और अपने बेटे के लिए न्याय की गुहार लगाऊंगा।'' राजधानी रायपुर से लगभग 100 किलोमीटर दूर साजा विधानसभा क्षेत्र के बिरनपुर गांव में दो समुदायों के स्कूली बच्चों के बीच हुए विवाद के बाद हिंसा भड़क गई थी। 

हिंसा के दौरान साहू के बेटे भुनेश्वर साहू (22) की आठ अप्रैल को हत्या कर दी गई थी। वहीं, 11 अप्रैल को बिरनपुर निवासी रहीम मोहम्मद (55) और उनके बेटे इदुल मोहम्मद (35) का शव गांव से कुछ दूरी पर बरामद किया गया था। उनके शरीर पर चोट के कई निशान थे। झड़प के कारण जिला प्रशासन ने गांव में भारतीय दंड संहिता की धारा 144 लागू कर दी जो लगभग 20 दिनों तक जारी रही। 

छत्तीसगढ़ सरकार ने साहू के परिजनों को सरकारी नौकरी और 10 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की थी, लेकिन परिवार ने पैसे लेने से इनकार कर दिया था। जिले के अधिकारियों के अनुसार, ईश्वर ने कहा था कि वह अपने छोटे बेटे के 18 साल का होने के बाद सरकारी नौकरी के बारे में विचार करेंगे। हालांकि, साहू ने अपने घर पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और अन्य वरिष्ठ भाजपा नेताओं द्वारा सौंपा गया 11 लाख रुपये का चेक स्वीकार कर लिया था।

प्रदेश भाजपा ने अपने 'एक्स' हैंडल पर सोमवार को पोस्ट किया, ''बिरनपुर में मारे गए सनातनी युवक स्व. भुनेश्वर साहू के पिता श्री ईश्वर साहू जी को साजा विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी बनाये जाने पर हार्दिक शुभकामनाएं।'' साजा सीट वर्तमान में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के कृषि मंत्री रवींद्र चौबे के पास है। चौबे प्रभावशाली ब्राह्मण नेता हैं और वह सात बार के विधायक हैं। 

भाजपा ने कबीरधाम जिला पंचायत के सदस्य और राज्य इकाई के महामंत्री विजय शर्मा को कवर्धा सीट (कबीरधाम जिला) से चुनाव मैदान में उतारा है। तीन अक्टूबर, 2021 को कवर्धा शहर में एक चौराहे से धार्मिक झंडे हटाने को लेकर दो समुदायों के बीच झड़प हो गई थी। घटना के दो दिन बाद हिंदू संगठनों ने घटना के विरोध में शहर में एक रैली निकाली थी जिस दौरान हिंसा हुई थी। 

पुलिस ने दंगा भड़काने और अन्य आरोपों में राजनांदगांव क्षेत्र से भाजपा सांसद संतोष पांडेय, पूर्व सांसद अभिषेक सिंह और विजय शर्मा को आरोपी बनाया था। पुलिस ने शर्मा को गिरफ्तार कर लिया था। बाद में वह जमानत पर रिहा हो गए थे। कांग्रेस के एक प्रमुख मुस्लिम नेता और राज्य के वन मंत्री मोहम्मद अकबर कवर्धा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। 

चार बार के विधायक अकबर ने 2018 में पहली बार इस सीट से चुनाव लड़ा था और साहू समाज की अच्छी खासी आबादी होने के बावजूद भाजपा के पूर्व विधायक अशोक साहू के खिलाफ 59,284 वोटों के बड़े अंतर से जीत हासिल की थी। साहू और शर्मा को मैदान में उतारने की भाजपा की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर वरिष्ठ भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक ने कहा, ''हम बिरनपुर घटना में पीड़ित परिवार और कवर्धा की घटना में पीड़ित पक्ष के लिए न्याय चाहते हैं। हमने चुनाव के लिए दोनों उम्मीदवारों को नामांकित करके उनके लिए न्याय सुनिश्चित करने का प्रयास किया है।'' 

कौशिक ने कांग्रेस पर भी निशाना साधा और कहा कि कांग्रेस और आईएनडीआईए गठबंधन के सहयोगी सनातन धर्म का अपमान कर रहे हैं और इसे नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘सनातन धर्म को निशाना बनाने के लिए लोग उन्हें (कांग्रेस और उसके सहयोगियों को) हर चुनाव में करारा जवाब देंगे।’’ वहीं भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम नहीं छापने के शर्त पर कहा कि साहू और शर्मा को टिकट दिए जाने के बाद इन दो सीट के साथ-साथ आसपास की अन्य सीट पर साहू और हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण होने की संभावना है। 

इस बीच राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि राज्य में सांप्रदायिक हिंसा मुद्दा नहीं बनेगा। यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा ईश्वर साहू और विजय शर्मा को टिकट देकर सांप्रदायिक हिंसा का मुद्दा उठाने की कोशिश कर रही है। इसके जवाब में बघेल ने कहा, ''वे कितनी भी कोशिश कर लें, यह कोई मुद्दा नहीं बनेगा। साजा (जहां से साहू को मैदान में उतारा गया है) में अन्य भाजपा कार्यकर्ता भी थे। वह (साहू) पूरी तरह से गैर-राजनीतिक व्यक्ति हैं।'' 

कांग्रेस ने पहले भाजपा पर वास्तविक मुद्दों के अभाव में सांप्रदायिक राजनीति करने का आरोप लगाया था। राजनीतिक मामलों के जानकार आर कृष्ण दास ने कहा, ''राज्य की राजनीति में सांप्रदायिक हिंसा कभी भी मुद्दा नहीं रही है, लेकिन इस बार के चुनाव में कुछ सीट पर यह प्रभाव डाल सकता है।''

 दास ने कहा, ''भाजपा कांग्रेस सरकार पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए आक्रामक तरीके से निशाना साध रही है और दावा कर रही है कि राज्य में ‘भूपेश-अकबर-ढेबर’(राज्य के मंत्री मोहम्मद अकबर और रायपुर के महापौर एजाज ढेबर का जिक्र करते हुए) की सरकार है।'' उन्होंने कहा कि साजा और कवर्धा में उम्मीदवारों का चयन दर्शाता है कि पार्टी आगामी चुनावों के दौरान मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए इस मुद्दे को उठाएगी। इससे वोटों के ध्रुवीकरण की भी संभावना बढ़ गई है। 

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