सीपीएस की नियुक्तियां करके शीर्ष अदालत की अवहेलना की गई: जयराम ठाकुर

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Published By Moazzam Beg
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शिमला। हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बुधवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस नीत सरकार ने उच्चतम न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करते हुए, छह मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) की नियुक्ति की है। उन्होंने कहा कि इसीलिए हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने मंगलवार को अदालत के समक्ष नियुक्ति को लेकर सुक्खू सरकार की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया। 

 ठाकुर ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार की उस अपील को खारिज कर दिया है, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायकों द्वारा सीपीएस नियुक्ति के खिलाफ याचिका दायर की गयी थी। उन्होंने कहा कि कानूनी लड़ाई की शुरुआत में ही विपक्ष की यह बड़ी जीत सरकार के लिए एक बड़ा झटका है। 

उन्होंने कहा कि सलाहकारों की फौज होने के बावजूद मुख्यमंत्री इस मामले में गलत सलाह के शिकार हैं। उन्होंने कांग्रेस नेता पर जानबूझकर अपने दोस्तों के राजनीतिक भविष्य को खतरे में डालने का आरोप लगाया। उन्होंने एक अदालती मामले (इसके विधायक द्वारा अदालत के समक्ष दायर) के रखरखाव के बारे में कल उच्च न्यायालय के फैसले को सरकार के लिए एक झटका करार दिया। 

सीपीएस की नियुक्तियों से सत्ताधारी दल में राजनीतिक समीकरण गरमा गये हैं। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के स्पष्ट आदेशों के बावजूद सरकार द्वारा सीपीएस नियुक्त करने का यह निर्णय पूरी तरह से आश्चर्यजनक है। ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने छह विधायकों को सीपीएस नियुक्ति किया है। इनमें रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, अर्की से विधायक संजय अवस्थी, दून से राम कुमार चौधरी, पालमपुर से आशीष बुटेल और बैजनाथ से किशोरी लाल शामिल हैं। सरकार ने उन्हें दफ्तर से लेकर वाहन समेत अन्य सुविधाएं भी मुहैया कराई हैं। 

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