Sharadiya Navratri 2023: चंडिका मंदिर में मां सती के नेत्र की होती है पूजा, जानें वजह 

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Published By Vishal Singh
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मुंगेर। बिहार के मुंगेर जिले के प्रसिद्ध मां चण्डिका मंदिर में मां सती के एक नेत्र की पूजा की जाती है और श्रद्धालुओं को नेत्र संबंधी विकास से मुक्ति मिलती है। मुंगेर जिला मुख्यालय से लगभग दो किलोमीटर पूरव गंगा किनारे पहाड़ीगुफा में अवस्थित मां चंडिका का मंदिर लाखों भक्तों के लिए ‘आस्था‘ का केन्द्र बना हुआ है।

मान्यता है कि इस स्थल पर माता सती की बाईं आंख गिरी थी। यहां आंखों के असाध्य रोग से पीड़ित लोग पूजा करने आते हैं औरयहां से काजल लेकर जाते हैं। लोग मानते हैं कि यह काजल नेत्ररोगियों के विकार दूर करता है। नेत्र रोग से पीड़ित भक्तगण चंडिका मंदिर में नेत्र-रोग से मुक्ति की आशा लेकर आते हैं। सामाजिक मान्यता है कि कोई भी भक्त निराश नहीं लौटता है। संतान की चाहत और जीवन की अन्य इच्छाओं की पूर्ति के लिए भक्त राज्य के कोने-कोने से इस मंदिर में पहुंचते हैं।

ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर के काजल से हर प्रकार के नेत्रविकार दूर होते हैं । दूर-दूर से पीड़ित भक्तजल यहां मंदिर का काजल लेने पहुंचते हैं । मंदिर के पुजारी ने बताया कि नवरात्र-पूजा के दौरान नौ पूजा तक इस मंदिर में भक्तों की भीड़ देखने को बनती हैं। कतार में लगकर भक्त अरघा- सिस्टम से मां चण्डिका के नेत्र पर जल-अर्पण करते हैं। 

मंदिर में भगवान शंकर, माता पार्वती, नौ ग्रह देवता,मां काली और मां संतोषी और भगवान हनुमान के अलग-अलग मंदिर भी हैं जहां भक्तजन पूजा-अर्चना करते हैं।सामान्य दिनों में प्रत्येक मंगलबार को मंदिर में काफी संख्या में भक्तजन पहंचते हैं।मंदिर के पूर्व और पश्चित में श्माशन है । इसी कारण इस मंदिर को ‘श्मशान चंडिका‘‘ के रूपमें भी जाना जाता है । नवरात्र पूजा के दौरान तांत्रिक यहां तंत्र-सिद्धि के लिए भी जमा होते हैं । 

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