जोगी की पार्टी ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए 11 उम्मीदवारों की दूसरी सूची की जारी 

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Published By Vishal Singh
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रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने राज्य में हो रहे विधानसभा चुनाव के लिए बुधवार को 11 उम्मीदवारों की अपनी दूसरी सूची जारी की। इस सूची के साथ ही पार्टी ने राज्य की कुल 90 सीट में से 27 सीट पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।

आज जिन 11 सीट के लिए उसने सूची जारी की उनमें एक-एक सीट अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है। अजीत जोगी की पत्नी और मौजूदा विधायक रेणु जोगी को कोटा सीट से तथा उनकी बहू ऋचा जोगी को अकलतरा सीट से टिकट दिया गया है।

रेणु जोगी ने तीन बार कांग्रेस के टिकट पर (2006-उपचुनाव, 2008 और 2013) तथा एक बार 2018 में जेसीसी (जे) उम्मीदवार के रूप में कोटा सीट से जीत हासिल की है। उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ दी थी तथा अपने पति की पार्टी में शामिल हो गईं थीं।

राज्य में कोटा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे दिलीप सिंह जूदेव के बेटे प्रबल प्रताप सिंह जूदेव को तथा कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ पर्यटन बोर्ड के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव को अपना उम्मीदवार बनाया है। पार्टी अध्यक्ष और अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी की पत्नी ऋचा जोगी ने पिछला चुनाव जेसीसी (जे) के टिकट पर अकलतरा से लड़ा था, लेकिन हार गई थीं। जेसीसी (जे) ने गुंडरदेही सीट से पूर्व विधायक आर के राय को मैदान में उतारा है। राय कांग्रेस छोड़ने के बाद जेसीसी (जे) में शामिल हो गए थे ।

उन्होंने 2018 में गुंडरदेही से चुनाव लड़ा था तथा हार गए थे। पार्टी ने इसके साथ ही जगलाल सिंह देहाती (प्रेमनगर सीट), छत्रपाल सिंह कंवर (पाली-तानाखार-एसटी), अखिलेश पांडे (बिलासपुर), चांदनी भारद्वाज (मस्तूरी-एससी), टेकचंद चंद्रा (जैजैपुर), बाबा मनहरण गुरुसाई (कसडोल), मनोज बंजारे (रायपुर ग्रामीण) और जहीर खान (भिलाई नगर) को अपना उम्मीदवार बनाया है।

इस सूची में तीन महिला उम्मीदवारों को जगह दी गई है जिनमें से दो जोगी परिवार से ही हैं। जेसीसी (जे) ने पिछला चुनाव बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन में लड़ा था। इस गठबंधन ने सात सीट जीती थीं। हाशिए पर धकेल दी गई जेसीसी (जे) इस बार राजनीतिक रूप से प्रासंगिक बने रहने के लिए संघर्ष कर रही है।

एक साक्षात्कार में अमित जोगी ने कहा था कि उनकी पार्टी गठबंधन के लिए सर्व आदिवासी समाज (एसएएस) और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) से संपर्क कर रही है। हालांकि पार्टी ने अभी तक किसी भी संगठन के साथ गठबंधन नहीं किया है। मायावती के नेतृत्व वाली बसपा ने जीजीपी के साथ गठबंधन किया है। 2020 में अजीत जोगी की मृत्यु के बाद से जेसीसी (जे) संकट में है।

2000 से 2003 तक राज्य में कांग्रेस सरकार का नेतृत्व करने वाले अजीत जोगी ने कांग्रेस से अलग होने के बाद 2016 में जेसीसी (जे) का गठन किया और 2018 का विधानसभा चुनाव बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ गठबंधन में लड़ा। हालांकि जेसीसी (जे) चुनाव परिणाम को प्रभावित नहीं कर सकी, लेकिन पारंपरिक रूप से भाजपा और कांग्रेस के प्रभुत्व वाले राज्य की राजनीति में पैठ बनाने में सफल रही। 2018 के चुनाव में कांग्रेस लंबे अंतराल के बाद सत्ता में लौटी।

पार्टी ने कुल 90 में से 68 सीटें जीतीं, जबकि भाजपा 15 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही। जेसीसी (जे) को पांच और उसकी सहयोगी बसपा को दो सीटें मिलीं थी। पिछले चुनाव में जेसीसी (जे) का वोट शेयर 7.6 प्रतिशत था और उसने पांच सीट जीती थी। यह छत्तीसगढ़ में किसी क्षेत्रीय पार्टी का पहला बेहतर प्रदर्शन था।

विधायक रहे अजीत जोगी और देवव्रत सिंह की मृत्यु के बाद हुए उपचुनावों में जेसीसी (जे) दो विधानसभा क्षेत्रों मरवाही और खैरागढ़ हार गई थी। वहीं पार्टी ने दो अन्य विधायकों धर्मजीत सिंह और प्रमोद शर्मा को निष्कासित कर दिया है। अब कोटा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाली अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी पार्टी की एकमात्र विधायक हैं। 

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