सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरा

Amrit Vichar Network
Published By Om Parkash chaubey
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वायु प्रदूषण एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरा है। चिंताजनक दर से बढ़ रहा वायु प्रदूषण अर्थव्यवस्था और लोगों के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि प्रदूषित हवा में सूक्ष्म कणों के संपर्क में आने से प्रति वर्ष लगभग 70 लाख लोगों की मौत हो जाती है।

परिवेशीय (बाहरी) और घरेलू (घर के अंदर) वायु प्रदूषण दोनों ही स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं लेकिन हमारे नीति-नियंता इस दिशा में गंभीर नजर नहीं आते। इस पर काबू पाने के लिए कोई ठोस योजना नहीं दिखती है। हर वर्ष जब संकट सिर पर आ जाता है तो मामले में उच्चतम न्यायालय को हस्तक्षेप करना पड़ता है।

मंगलवार को उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान सरकारों से वायु प्रदूषण पर काबू पाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी। न्यायालय ने कहा कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) द्वारा कई उपचारात्मक कदम उठाए जाने के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र बिगड़ती वायु गुणवत्ता से संकट में है।

न्यायालय ने पहले दिल्ली तथा उसके आसपास वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर सीएक्यूएम से एक रिपोर्ट मांगी थी। तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण की मुख्य वजहों में से एक पराली जलाना है। ऐसे में सवाल उठता है कि केंद्र व राज्य सरकारें क्यों विचार नहीं करती हैं कि पराली जलाने के संकट को दूर करने के लिए जो उपाय किये गए हैं, वे कितने कारगर हैं? वायु प्रदूषण के लिए हमारी जीवन शैली भी जिम्मेदार है।

हर घर में कई-कई कारें रखने से भी प्रदूषण में इजाफा हुआ है। इस पर रोक के लिए सार्वजनिक यातायात व्यवस्था को सहज बनाना होगा ताकि लोग सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें। वायु प्रदूषण को देखते हुए यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इसमें कमी लाने के लिए मानकों का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। इन मानकों का पालन न करने पर जिम्मेदार लोगों और संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।

हालांकि केंद्र सरकार ने परिवेशी वायु प्रदूषण के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम जैसी नीतियां भी बनाई हैं। इसके अलावा उन तमाम कारणों पर विचार करना होगा, जो इस संकट के मूल में हैं। उद्योग, परिवहन, कोयला बिजली संयंत्र और घरेलू ठोस ईंधन का उपयोग वायु प्रदूषण में प्रमुख योगदानकर्ता हैं। ध्यान रखना होगा कि वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए ज्ञान और उपकरणों के साथ स्वास्थ्य क्षेत्र की निगरानी और मजबूती भी शामिल है। हमें आग लगने पर कुआं खोदने की प्रवृत्ति से बचना होगा।