हिमालय ने लगाई मदद की पुकार, CoP28 को इस पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए: संरा प्रमुख

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Published By Priya
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दुबई। हिमालयी क्षेत्र में संभावित आपदा की चेतावनी देते हुए संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस ने शनिवार को कहा कि यहां के पर्वत मदद के लिए चीख-पुकार कर रहे हैं और इस समय जारी सीओपी28 वार्ता को इस पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यहां चल रही वार्षिक जलवायु वार्ता को विकासशील देशों खासतौर पर उन कमजोर पर्वतीय देशों की जरूरतों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करनी चाहिए जिन्हें तत्काल मदद की जरूरत है। हिमालय के हिमनद (ग्लेशियर) खतरनाक दर से पिघल रहे हैं।

 लगभग 24 करोड़ लोग हिमालयी हिमनदों और यहां से निकलने वाली सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी 10 प्रमुख नदियों पर निर्भर हैं। भारत सहित आठ देशों में इन नदियों के निचले हिस्से में रहने वाले एक अरब लोग भी हिमनद से पोषित नदियों पर निर्भर हैं। इस साल के कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (सीओपी28) में पर्वतीय देशों की एक बैठक को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव गुतारेस ने जोर देकर कहा कि नेपाल की लगभग एक तिहाई बर्फ केवल 30 वर्षों में गायब हो गई और इसका सीधा संबंध ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन से है जो धरती को गर्म करती हैं। 

गत अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में एवरेस्ट क्षेत्र समेत नेपाल का दौरा करने वाले गुतारेस ने विकसित देशों 100 अरब अमेरिकी डॉलर देने पर रुख स्पष्ट करने और 2025 तक अनुकूलन वित्त को दोगुना कर 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष करने की योजना तैयार करने का आह्वान किया। उन्होंने नेपाल जैसे विकासशील देशों की जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों (आईएफआई) और बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) में सुधार की वकालत करते हुए कहा, ‘‘लेकिन यह रकम जरूरत के हिसाब से बहुत कम है।’’ 

उन्होंने कहा कि यदि अलग रास्ता नहीं अपनाया गया तो तबाही आ सकती है। गुतारेस ने कहा, ‘‘हिमनद पूरी तरह गायब हो सकते हैं। इसका मतलब है कि सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी बड़ी नदियों में जल प्रवाह बहुत घट जाएगा। डेल्टा खाने पानी से नष्ट हो जाएगा।’’ महासचिव ने हिमनद के पिघलने की खतरनाक दर पर भी प्रकाश डाला जिसके कारण ये गायब हो रहे हैं और इसका स्थानीय समुदायों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा, “पर्वत मदद की चीख-पुकार कर रहे हैं और सीओपी28 को इस पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए।” 

गुतारेस ने नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल 'प्रचंड' और अन्य राष्ट्राध्यक्षों और प्रतिनिधिमंडलों के साथ उच्च स्तरीय गोलमेज बैठक में भाग लिया। इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (आईसीआईएमओडी) की उप महानिदेशक इजाबेला कोजील ने कहा कि नुकसान और क्षति के मुआवजे के लिए हिंदू कुश हिमालय को प्राथमिकता देना तात्कालिक अनिवार्यता है।

आईसीआईएमओडी के 2017 के एक अध्ययन ने पाया कि भले ही दुनिया वैश्विक तापमान में वृद्धि के औसत स्तर 1.5 डिग्री सेल्सियस को बरकरार रखने में कामयाब हो जाए, लेकिन इसके बावजूद सदी के अंत तक हिमालयी क्षेत्र के तापमान में दो डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक की वृद्धि होगी। यह वैश्विक सम्मेलन बृहस्पतिवार से शुरू हुआ और 12 दिसंबर तक चलेगा। इसमें 198 देशों के लगभग 1,00,000 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। 

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